रायपुर. स्वास्थ्य विभाग ने रेबीज से बचाव के लिए जानवरों के काटने पर घाव को तत्काल साबुन या एंटिसेप्टिक से 15 से 20 मिनट तक बहते पानी से धोने की सलाह दी है. विभाग ने रेबीज से बचने के लिए घर के पालतू जानवरों कुत्ता, बिल्ली या अन्य पशुओं को जरूरी टीका लगवाने की अपील की है. कुत्तों को तीन महीने की उम्र में टीका लगवाना चाहिए. टीके के प्रकार के अनुसार हर तीन वर्ष में इसकी एक अतिरिक्त डोज भी लगवानी चाहिए.

रेबीज नियंत्रण के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र गहवई ने बताया कि एक बार रेबीज होने के बाद इससे बचा नहीं जा सकता है. प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज से बचाव एवं प्रबंधन के बारे में डॉक्टरों द्वारा जानकारी दी जाती है. रेबीज जानलेवा बीमारी है. समय पर इलाज करवाकर और एंटी-रेबीज का टीका लगवाकर जान बचाई जा सकती है.

रेबीज़ का टीका आप अपने निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं जिला अस्पतालों में निःशुल्क लगवा सकते हैं. रेबीज के 97 प्रतिशत मामले संक्रमित कुत्ते के काटने के कारण होते हैं. संक्रमित कुत्ते के अलावा यह बीमारी बिल्ली, बंदर, नेवला, लोमड़ी, सियार या अन्य जंगली जानवरों के काटने या नाखून मारने से भी हो सकता है.

शासकीय अस्पतालों में जानवरों के काटने का सुरक्षित एवं प्रभावी उपचार उपलब्ध है. यदि कोई जानवर काट ले तो घाव को 15 से 20 मिनट तक साबुन, डिटॉल या अन्य एंटीसेप्टिक से बहते पानी में तुरंत धोना चाहिए. साथ ही समय पर उपचार लेने के लिए तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

डॉक्टर के परामर्श के अनुसार समय पर पूर्ण टीकाकरण कराएं. जानवरों के द्वारा चाटने, नाखून मारने या काटने के घाव को अनदेखा न करें. कटे हुए घाव पर मिर्ची पाउडर, सरसों का तेल, तेजाब या जलन करने वाले केमिकल न लगाएं. झाड़-फूंक, टोने-टोटके एवं अंधविश्वास से दूर रहें. घाव पर पट्टी बांधे. बच्चों को आवारा जानवरों से दूर रखें. ज्यादातर जानवर सताए जाने पर या आत्मरक्षा के लिए काटते हैं.

रेबीज जानवरों से मनुष्यों में फैलता है. मनुष्य के शरीर में रेबीज का वायरस रेबीज से पीड़ित जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव, खरोच एवं लार से प्रवेश करता है. कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई देता है. लोगों में जागरूकता बढ़ने से कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने पर अब लोग तत्काल अस्पताल पहुंच रहे हैं.

इससे रेबीज से होने वाली मौतों में कमी आई है. सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में एंटी-रेबीज टीके उपलब्ध कराए गए हैं. पिछले एक वर्ष में प्रदेश भर में एक लाख 57 हजार से अधिक लोगों को एन्टी-रेबीज इंजेक्शन लगाया गया है.