रायपुर। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने आज जगदलपुर में स्वास्थ्य विभाग के महत्वाकांक्षी ‘मलेरियामुक्त बस्तर अभियान’ की तैयारियों की समीक्षा की। बस्तर संभाग को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने स्वास्थ्य विभाग द्वारा 15 जनवरी से 14 फरवरी तक विशेष गहन अभियान चलाया जाएगा।
सिंहदेव ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में संभाग के सभी सातों जिलों के कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक में कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण अभियान है जिसमें हमें हर हाल में सफल होना है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ जिला प्रशासन और अन्य विभागों की सहभागिता जरूरी है। बैठक में बस्तर के सासंद दीपक बैज, बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, विधायक नारायणपुर चंदन कश्यप, स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह, कमिश्नर बस्तर संभाग अमृत कुमार खलखो, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, निदेशक, महामारी नियंत्रण डॉ. आर.आर. साहनी और संचालक, चिकित्सा शिक्षा डॉ. एस.एल. आदिले भी मौजूद थे।
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने बैठक में कहा कि सामान्यतः मलेरिया से बार-बार पीड़ित होने के कारण एनीमिया होता है। यदि गर्भवती महिला को मलेरिया होता है तो कम वजन का बच्चा होने की संभावना होती है और यही बाद में कुपोषण में परिवर्तित हो जाता है। उन्होंने कहा कि यदि बस्तर में मलेरिया को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए, तो इसे कुपोषण और एनीमिया मुक्त भी किया जा सकता है। उन्होंने मलेरियामुक्त बस्तर अभियान में संभाग की शत-प्रतिशत जनसंख्या को शामिल करने कहा। खून की जांच के लिए मलेरिया किट्स और दवाईयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
सिंहदेव ने बताया कि प्रदेश में मलेरिया के कुल प्रकरणों में 73 प्रतिशत बस्तर संभाग में पाया गया है। मलेरिया से सर्वाधिक मौतें भी बस्तर संभाग में होती हैं। इसलिए प्रदेश में मलेरिया उन्मूलन की शुरुआत बस्तर संभाग से की जा रही है। उन्होंने सभी कलेक्टरों को अभियान की बारिकी से निगरानी करने के निर्देश दिए। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने अभियान के लिए विशेष तौर पर तैयार किए गए मितानिन किट्स और प्रचार सामग्री का विमोचन किया।
स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह ने बैठक में कहा कि जनवरी, जुलाई और नवम्बर का महीना मलेरिया की दृष्टि से ज्यादा संवेदनशील होता है। इसलिए जनवरी के साथ ही नवम्बर में भी इस अभियान को चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए संभाग में एक हजार 720 टीमों का गठन किया गया है। हर टीम में चार सदस्य होंगे। बारिक सिंह ने कहा कि मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग जरूरी है। इसकी आदत डालने के लिए इस अभियान से बच्चों को भी जोड़ा जाएगा। बच्चे अपने अभिभावकों को भी मच्छरदानी लगाने के लिए जागरूक कर सकते हैं।