सत्यपाल राजपूत, रायपुर. संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल पर रोक लगाने सरकार ने एस्मा लगाया है. वहीं काम पर नहीं लौटने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए है. इस आदेश का संविदा कर्मचारियों ने विरोध किया है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने स्वास्थ्य कर्मियों से काम पर वापस लौटने की अपील की है.

एस्मा लगाने को लेकर डिप्टी सीएम एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, हमें कर्मचारी हित भी देखना है और सर्व प्रथम नागरिक हित भी देखना है. कर्मचारी हित में चर्चा पर्याप्त नहीं है, फिर भी वो सेवा देने में मना कर रहे हैं, फिर एस्मा के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता. हमारे लिए कर्मचारी ही सब कुछ नहीं है, उनका महत्व है, लेकिन प्राथमिक महत्व और नागरिकों का ह,ै जिनको हमें प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा देना है और उन्हीं को सेवा देने के लिए तनखा मांग रहे.

चर्चा हो गई इसके बावजूद बात क्यों नहीं बन रही है, कहां पेंच फंसा है, इस सवाल पर सिंहदेव ने कहा, कभी जिद हो जाता है तो कभी नेतागिरी हो जाती है. जायज मांग है, पूरी नहीं हो रही है. अभी भी नहीं हो रही है. पहले भी नहीं हुआ तो लोग मिस गाइड करते हैं कि ऐसा करो तो आपकी बात मान ली जाएगी.

नियमितीकरण करने में क्या दिक्कत हो रही है, इस सवाल पर मंत्री सिंहदेव ने कहा, नियमितीकरण की मांग है. इसमें पेंच यह है कि जो केंद्र सरकार से राशि मिलती है नेशनल हेल्थ मिशन में वो हमें नहीं मिलेगी. ऐसे में राज्य सरकार के ऊपर सीधा सीधा 5 सौ करोड़ का भार आ जाएगा. जैसे चल रहा है 40 और 60 पर्सेंट का रेशियो इसी में हम सेवा ले सकते हैं. जो उदाहरण देते मिजोरम का है एक राज्य का है. मैंने प्रस्ताव दिया था कि क्या इनको नेशनल हेल्थ मिशन में रखते हुए इनके लिए कुछ किया जा सकता है.

आप के घोषणा पत्र में नियमितीकरण करने की घोषणा थी, फिर क्यों नहीं, इस पर सिंहदेव ने कहा, कैबिनेट की बैठक में चीफ सेक्रेटरी को निर्देशित किया गया था कि सभी यूनियन के इस संगठन के लोगों से बातचीत करें. इसके बाद आगे क्या किया जा सकता है क्या नहीं किया जा सकता है, यह तय किया जाएगा.

एस्मा लगाया गया है क्या अब कार्रवाई होगी, इस पर स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा, मैं तो आग्रह करूंगा कि वो काम पे आ जाए. अब सिर्फ उनकी वेतन और नियमितीकरण की बात नहीं है. अब लोगों की जीवन की बात है, उनकी सेवा की बात है. आपने अपनी बात रख ली वो सुन लिया गया. हड़ताल ही रास्ता नहीं हो सकता. आप देख सकते हो कि अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर लगभग एक साल से महिलाएं हड़ताल पर बैठी हैं.