सुप्रिया पांडे,रायपुर। कोरोना वायरस को लेकर दुनिया में मचे कोहराम के बीच अमेरिकन काउंसिल जनरल की प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव से चर्चा हुई. सिंहदेव ने राज्य की स्थिति और रणनीति को लेकर अपने विचार अमेरिकन काउंसिल जनरल से साझा किए. मंत्री टीएस सिंहदेव ने चर्चा के बाद पत्रकारों को बताया कि मुंबई स्थित अमेरिका के वाणिज्यिक दूतावास के काउंसिल जनरल डेविड जे. और रोबर्ट गोल्सन हॉउसर कोरोना के साथ-साथ राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की.

छात्रों को 7 दिन में घर भेजे जाने पर जताई चिंता

वहीं राजस्थान के बच्चों को 7 दिनों में घर भेज दिए जाने के सवाल पर सिंहदेव ने कहा कि इससे बच्चों की निगरानी की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है, पहले कुछ जगहों में निगरानी हो जाती. अब लगभग 2800 घरों में निगरानी करनी पड़ेगी. स्वास्थ्य विभाग पर निगरानी का दबाव बढ़ गया है. सभी का रैपिड टेस्ट किट से चेक कराए जाने को लेकर मंत्री ने कहा कि रैपिड टेस्ट कोई टेस्ट नहीं है, हम उस बात को भी अभी तक मान नहीं रहे हैं, यह केवल छानबीन का एक जरिया है. हम 7 दिन और रुक जाते, लेकिन सब ने निर्णय लिया है तो ठीक है.

मजदूरों को भेजने पर गलती कर रही केंद्र

85 फीसदी मजदूरों को टिकट का खर्चा केन्द्र सरकार द्वारा उठाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर की बात तो राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, इसमें केंद्र को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. लेकिन जो भी बात एक राज्य और दूसरे राज्य की आती है उसमें केंद्र सरकार को सुनिश्चित प्रबंधन करना चाहिए. एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने की स्थिति में दोनों राज्यों की सहमति एक साथ होने के बाद ही लोगों का आना-जाना जरूरी है. बहुत सारे प्रकरणों में ऐसा हो रहा है कि एकतरफा निर्णय लिए जा रहे है और पास लेकर लोग आ रहे हैं. जिस राज्य से आए उनकी अनुमति और जिस राज्य से जा रहे उनकी भी सहमति हो, तब प्रबंधन हो सकता है. यह गलती केंद्र सरकार कर रही है.

लॉकडाउन से पहले देनी थी लोगों को छूट

उन्होंने कहा कि राजनांदगांव की सीमा पर बड़ी संख्या में लोग जमा है. राजनांदगांव के प्रशासन के ऊपर एक दबाव है, जो अनुचित है. लॉकडाउन के पहले यह काम होना चाहिए था. जाहिर सी बात है लॉकडाउन लंबा चल रहा है तो लोगों को आने-जाने की दिक्कत हो रही है. यह जो आज निर्णय हो रहा है. यह हम लोगों ने पहले भी कहा था कि लॉकडाउन होने के पहले ही आपको अनाउंस कर देना था कि 4 से 5 दिन तक आना-जाना कर लीजिए. अब संक्रमण की संभावना उन क्षेत्रों में कहीं ज्यादा बढ़ गई है तब आप जाने की अनुमति दे रहे है. तब तक तो संक्रमित व्यक्ति ऐसे राज्य में पहुंचेंगे, जहां संक्रमण नहीं है, ऐसे गांव में पहुंचेंगे, जहां संक्रमण नहीं है तो अब उसका प्रबंधन करना है.

जांच करने की पर्याप्त क्षमता नहीं होने से खतरा

कोरोना को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों को आगाह होने की बात कही है. खतरा बढ़ रहा है, नए लोग आएंगे वो 14 दिन से किसी के संपर्क में नहीं आए. डेढ़ लाख टेस्ट करने की आपकी कैपेसिटी कहां है, आपकी कैपेसिटी भरपूर क्षमता से आप कोशिश भी करेंगे तो 30 दिन में आप 50 हजार पीसीआर टेस्ट कर सकते हैं, एक तरह से फिर वही अंधेरा रहेगा. लेकिन परेशानियां होगी और मरीज बढ़ेंगे, यह तो तय है. राहुल गांधी शुरू से कह रहे है कि टेस्टिंग बढ़ाइए उनका आशय यही था कि इस पर हमें ध्यान देना चाहिए, टेस्ट आपको और करना चाहिए और कोई दूसरा रास्ता नहीं है. राजधानी में जो मरीज है, उसकी ट्रेसिंग नहीं हो पा रही है. जल्द ही पता लगाया जाएगा और नहीं पता चला तो फिर चिंता की बात है.

पीलिया के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई चिंता

राजधानी में कोरोना के साथ ही पीलिया के मरीज बढ़ने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि यह संयोग है, दुर्भाग्य है. यह कहिए कि इस बीमारी से बच पाए तो उस बीमारी से नहीं बच पाए. पीलिया के मरीज जिस गंभीर स्टेज में पहुंच गए, अभी तक कोरोना के मरीज उस इतने गंभीर अवस्था में नहीं पहुंचे हैं. कोरोना के पेशेंट की देखभाल के लिए पृथक से इंतजाम है. करीब सात से आठ हजार बिस्तर की व्यवस्था की गई है. उनके लिए अलग से रहने की व्यवस्था बनाई जाएगी.