रायपुर। छतीसगढ़ के बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट के मामले देखने को मिल रहे हैं. इसके इलाज के तौर-तरीकों में आधुनिकता आई है, लेकिन आज भी लोगों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए एसआरसीसी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल ने एनएचएमएमआई हॉस्पिटल के सहयोग से रायपुर में ओपीडी लगाने का निर्णय लिया है. ओपीडी की शुरुआत 21 अक्टूबर से की जाएगी.

लिवर ट्रांसप्लांट स्पेशलिस्ट ने डॉ ललित वर्मा ने कहा कि पेट की समस्याएं भी किसी बड़ी समस्या का कारण हो सकती है. पेट संबंधित बीमारियों को नजरअंदाज ना करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. जल्दी इलाज शुरु करने पर लिवर ट्रांसप्लांट की स्थिति को टाला जा सकता है. लेकिन बेहद गंभीर स्थितियां जैसे लिवर फेलियर की आखिरी स्टेज, लिवर सिरोसिस आदि में लिवर ट्रांसप्लांट अक्सर जीवन बचाने जैसा होता है, लेकिन ओपीडी के जरिए जो भी परामर्श दिए जाएंगे वो मरीज़ों के लिए मददगार होंगे.

बीते 7 महीनों में 7 लिवर ट्रांसप्लांट किए है, सारे ट्रांसप्लांट सफल हुए. यहां तक 8 महीने के बच्चे का ट्रांसप्लांट भी किया गया है, जो सक्सेसफुल रहा. यदि परिजन भी अपने बच्चों को लिवर देना चाहते है तो लिवर का एक छोटा टुकड़ा दे सकते हैं. इससे परिजनों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा बल्कि उनका लिवर भी रिकवर हो जाएगा.

एनएचएमएमआई के फैकेल्टी डायरेक्टर नवीन शर्मा ने कहा कि एक बड़ी सर्जरी के लिए बहुत बड़ी विशेषज्ञों की टीम और उपकरणों की जरूरत होती है. यदि सभी को व्यवस्थित कर दें तो इलाज के लिए जो पैसे लगते है उसमें थोड़ी बचत होगी, पीडियाट्रिक ट्रांसप्लांट, बोन मैरो ट्रांसप्लांट, लिवर ट्रांसप्लांट के लिए एक्सपर्ट की जरूरत होती है, देशभर में इस तरह की प्रक्रिया में 25 से 30 लाख रूपए खर्च होते है. लेकिन एसआरसीसी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में उपचार में कुल 20 लाख रुपए तक का खर्च आएगा. इसके लिए हॉस्पिटल में विशेषज्ञों की बड़ी टीम है, उसका लाभ सबको मिल पाए ऐसी कोशिश रहेगी.