लखनऊ. उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सवाल उठाए हैं. उन्हाेंने कहा कि यूपी की भाजपा सरकार में इलाज नहीं मिलने से लोग तड़प-तड़प कर मरने को मजबूर हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पतालों में स्टाफ की कमी के चलते मरीजों को न दवा मिल पा रही हैं और न हीं इलाज हो पा रहा है. मौसम परिवर्तन के कारण जनता मलेरिया बुखार, टाईफाइड, डेंगू आदि अनेक बीमारियों से परेशान है. स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं.

अखिलेश यादव ने कहा कि अब तो हालात इतने बिगड़ गए हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों को भी गैरसरकारी अस्पताल मानने को तैयार नहीं है. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत निजी अल्ट्रासाउंड केन्द्र गर्भवती की मुफ्त जांच के लिए राजी नहीं है. लखनऊ शहर में करीब 200 निजी केंद्रों पर गर्भवती का अल्ट्रासाउंड होता है. 140 केंद्र सरकार की योजना में शामिल नहीं हुए हैं. जनता के स्वास्थ्य की राज्य सरकार को कितनी परवाह है इससे स्पष्ट है कि डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में चिकित्सा शिक्षकों के 300 पदों पर भर्ती होनी है. पीजीआई में 1803 पदों पर और सुपर स्पेशलिटी कैंसर संस्थान में 93 विशेषज्ञ शिक्षकों की भर्ती होनी है.

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उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर मेडिकल यूनिवर्सिटी बना तो दी पर अभी तक उस यूनिवर्सिटी का विस्तार नहीं हो सका है. आज भी अटल बिहारी मेडिकल यूनिवर्सिटी डॉ. राममनोहर लोहिया आयुविर्ज्ञान संस्थान के 9वें मंजिल पर गोमतीनगर लखनऊ में चल रही है. समाजवादी सरकार में एक रुपए के पर्चे पर गंभीर रोगों हार्ट, किडनी, कैंसर, लीवर आदि का भी मुफ्त इलाज हो जाता था. प्रसूताओं को अस्पताल लाने-ले जाने के लिए 102 और सड़क दुर्घटना में घायलों के लिए 108 डायल एम्बूलेंस सेवा शुरू की गई थी. भाजपा सरकार में इन एंबुलेंस सेवाओं की हालत खस्ता है. घंटों इंतजार करने के बाद भी मरीजो, घायलों को एम्बूलेंस उपलब्ध नहीं हो पाती है.

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