कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा सकती हैं ऐसा इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मी आंदोलन की राह अपना सकते हैं। ग्वालियर में आज प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभु राम चौधरी को संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ मध्यप्रदेश ने चेतावनी पत्र सौंपा, इस पत्र के जरिए उन्होंने मांग की है कि बीते 15 दिसंबर से 3 जनवरी तक उनके द्वारा हड़ताल की गई थी। उस दौरान सरकार ने आश्वासन दिया था कि 1 महीने के भीतर सभी मांगों के आदेश जारी कर दिए जाएंगे उसके बाद 18 अप्रैल 2023 से 8 मई 2023 तक हड़ताल फिर से की गई थी, उस दौरान भी 4 मई को सीएम हाउस से आश्वासन मिला था कि 15 मई 2023 तक सभी मांगों के आदेश जारी कर दिए जाएंगे जो कि आज दिनांक तक जारी नहीं हुए हैं।  

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अब ऐसे में सभी कर्मचारी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। यदि 15 दिनों के अंदर मांगों के आदेश जारी नहीं हुए तो एक बार फिर स्वास्थ्य कर्मियों को आंदोलन करने मजबूर होना पड़ेगा। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने स्वास्थ्य कर्मियों से मुलाकात कर उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करने के बाद उन्हें पूरा करने के लिए आश्वस्त है जल्द सभी मांगे भी पूरी कर दी जाएंगी।

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गौरतलब है कि स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों को वरिष्ठता के आधार पर विभाग में रिक्त पदों पर समायोजित किया जाए और अन्य कर्मचारियों को 5 जून 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पारित की गई नीति रेगुलर कर्मचारियों के समकक्ष 90% वेतनमान तत्काल लागू किया जाए। सीएचओ कैडर को एमएलएचपी कैडर के तहत नियमित किया जाए, इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से हटाकर आउट सोर्स एजेंसी में शामिल किए गए सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को भी पुणे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए, या फिर विभाग में रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए साथ ही पल समाप्ति के कारण निष्कासित किए गए कर्मचारियों को तत्काल वापस लिया जाए।

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