Health Tips: अच्छी सेहत के लिए आपकी Lifestyle का हेल्दी होना भी जरूरी हैं और इसमें महत्वपूर्ण स्थान रखती है आपकी नींद. हेल्दी लाइफस्टाइल में जितना अहम रोल खानपान और व्यायाम का होता है, उतनी ही जरूरी नींद भी होती है. एक अच्छी नींद हमारे दिमाग को तरोताजा करने और शरीर के दूसरे अंगों को आराम देने के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन आजकल लोग रात को अपना अधिकतर समय मोबाइल में गुजार देते हैं जिसकी वजह से नींद में खलल पड़ जाता हैं. जबकि स्वस्थ शरीर के लिए हर व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए. आज हम आपको उन गंभीर नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो नींद पूरी ना होने की वजह से पनपती हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में.

इम्यून सिस्टम होगा कमजोर

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पूरी नींद न लेने से हमारा रोग प्रतिरोधक तंत्र प्रभावित होता है और अगर इम्युनिटी कमजोर हो तो व्यक्ति को कोई भी इंन्फेक्शन, खांसी, जुकाम, बुखार आदि समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं. इसलिए आपको अपनी रात की नींद पूरी करनी है.

हार्मोनल समस्याएं

आजकल महिलाओं में थायरॉयड, पीसीओडी जैसी कई हार्मोनल परेशानियां का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इसकी बड़ी वजह स्ट्रेस है. नींद की कमी से भी स्ट्रेस बढ़ता है और ये तनाव कई समस्याओं की वजह बनता है. इसकी वजह से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और महिलाओं में चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, पीरियड की अनियमितता, मोटापा जैसी परेशानियां हो जाती हैं. ये परेशानियां अन्य बीमारियों को न्योता देती हैं.

बढ़ जाता है डायबिटीज का जोखिम

मोटापे के अलावा जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती, उनमें भी डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है. जो लोग 7 से 8 घंटे का आराम अपने body को देते  है, तो इससे उनमें डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है.

मानसिक स्थिति पर असर

कम सोने का सीधा असर हमारी मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है. जितनी देर हम सोते हैं उतनी देर में हमारा दिमाग भी एक नई ऊर्जा जुटा लेता है. लेकिन नींद पूरी नहीं होने पर दिमाग तरोताजा नहीं हो पाता, जिसके चलते कई मानसिक समस्याएं हो जाती हैं और कई बार याददाश्त से जुड़ी परेशानी भी हो जाती है.

सोचने की शक्ति पर पड़ता है असर

यहां तक कि एक रात की नींद भी पूरी न होने से सोच संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. अगर हमारी नींद पूरी नही होती है तो हम किसी भी चीज में ध्यान नहीं लगा पाते हैं और सोचने समझने की शक्ति काम करना बंद कर देती है. और अगर ऐसे में कोई गंभीर विषय पर निर्णय लेने को कहा जाए तो हम कभी भी सही डिसिजन नहीं ले पाते हैं.