Health Tips: 6 महीने की उम्र के बाद शिशु को मां के दूध के साथ ठोस आहार भी खिलाना शुरू किया जाता है। शुरुआत में बच्चों को सॉलिड फूड देने के लिए सब्जी, दलिया और फलों को चुना जाता है। क्योंकि शुरुआत के दिनों में बच्चों की पाचन क्रिया कमजोर होती है, इसलिए उन्हें ऐसी चीजें खाने के लिए दी जाती हैं, जिसे वह आसानी से पचा सके। बच्चे को खाना खिलाते वक्त अक्सर पेरेंट्स के मन में सवाल आता था कि कब मैं उसे मीट यानी की मटन खिला पाएंगे। अगर आपके मन में भी यही सवाल आता है तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं।

शिशु को जब ठोस आहार दिया जाता है, तभी से मटन उसकी डाइट में शामिल किया जाता है। ध्यान रहे कि मटन को पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन हर शिशु की पाचन क्रिया इतनी मजबूत नहीं होती है कि मटन को डाइजेस्ट कर पाए। इसलिए शिशु को 1 साल की उम्र के बाद ही मटन या किसी भी प्रकार का रेड मीट खिलाएं। छोटे बच्चों को डायरेक्ट मटन न खिलाकर मटन का सूप बनाकर पिलाया जा सकता है। आप चाहें तो शुरुआत में बच्चे के ठोस आहार में अंडा और मछली जैसी चीजों को भी शामिल कर सकते हैं।

बच्चे को एक दिन में कितना मटन खिलाएं?


अब सवाल उठता है कि 1 साल के बच्चे को एक दिन में कितनी मात्रा में मटन खिलाना चाहिए? शुरुआत में 1 साल के बच्चे को 2 से 3 चम्मच मटन का सूप या मटन की प्यूरी खिलाई जा सकती है। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है और बच्चे की पाचन क्रिया दुरुस्त होती है। वैसे-वैसे शिशु के खाने में मटन की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स बच्चे को 8 महीने की उम्र से ही मटन और मटन से बनी चीजों को खाने की सलाह देता है।

बच्चों को मटन खिलाने के फायदे
1-मटन में पर्याप्त मात्रा में जिंक, आयरन, सेलेनियम, विटामिन B6 और B12, कोलीन और ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। ये खनिज और पोषक तत्व छोटे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देते हैं।
2-मटन में पाये जाने वाले पोषक तत्व बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर बीमारियों का खतरा कम करते हैं। मटन खाने से बच्चों में संक्रमण और बीमारियों का खतरा कम होता है।
3-मटन अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में शरीर में आयरन अब्जॉर्ब करने में ज्यादा मददगार होता है। छोटे बच्चों को अगर सही मात्रा में मटन खिलाया जाए, तो वह एनीमिया जैसी बीमारी से बच सकते हैं।
4-मटन में प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। एक शोध के मुताबिक 100 ग्राम मटन में 33 ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें एक व्यक्ति के रोजाना जरूरत के हिसाब से करीब 60 फीसदी प्रोटीन की भरपाई हो जाती है। प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

बच्चों को मटन देते वक्त सावधानियां
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि छोटे बच्चों को मटन देते वक्त कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है। अगर बच्चों को मटन देते वक्त सावधानियां न बरती जाए, तो इससे बीमारियों का खतरा हो सकता है।बच्चे के लिए हमेशा बोनलेस मटन का ही चुनाव करें।मीट को पकाने से पहले उसे सही तरीके से साफ करें।बच्चों को देने वाले मटन को पहले रोलिंग पिन से मीट को रोल कर लें, ताकि वह सॉफ्ट हो सके।शिशु को हमेशा सही तरीके से पका हुआ मटन ही दें।