सर्दियों के इस मौसम में हवा में फैलने वाले प्रदूषण और स्मॉग की वजह से अस्थमा मरीजों की समस्या बढ़ जाती हैं. अस्थमा, सांस से संबंधित एक गंभीर और क्रोनिक बीमारी है, जिसके मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. अस्थमा की समस्या में सांस की नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस खुलकर नहीं आ पाती और सांस अटक जाती है.
सर्दियों के दिनों में अस्थमा की समस्या विकट समस्या बन सकती हैं. ऐसे में इस समय आपको अपनी lifestyle में सुधार लाने की जरूरत होती हैं. इसमें आपकी मदद कर सकते हैं कुछ योगासन जिनकी मदद से फेफड़ों को सही मात्रा में आक्सीजन मिल पाए और सांस लेने में तकलीफ ना हो. चलिए जानते हैं उन योगासनों के बारे में जो अस्थमा मरीजों के लिए वरदान साबित होते हैं.
सुखासन
सुखासन अस्थमा के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. चूंकि इसमें पूरा ध्यान सांस लेने और छोड़ने पर केंद्रित होता है इसलिए यह अस्थमा के ट्रीटमेंट में कारगर है और फेफड़ों को भी स्वस्थ रखता है. इसे करने के लिए पैर मोड़कर सीधी अवस्था में बैठ जाएं. अब अपने दाहिने हाथ को अपने दिल पर रखें और बाएं हाथ को पेट पर रखें. आंखें बंद कर लें और पेट को अंदर की तरफ खींचें और छाती को थोड़ा लिफ्ट करें. अब सांस को धीरे-धीरे बाहर की तरफ छोड़ें. कम से कम 5-6 मिनट के लिए इस अवस्था में ही रहें और फिर से रिपीट करें.
भुजंगासन
अस्थमा की समस्या के शिकार लोगों के लिए भुजंगासन बेहद फायदेमंद योग हो सकता है. इसका नियमित अभ्यास करके अस्थमा की जटिलताओं को कम करने में सहायता मिल सकती है. इस योगासन को करने के लिए पेट के बल लेटकर हथेली को कंधों के नीचे रखें. सांस लेते हुए और शरीर के अगले हिस्सो को ऊपर की और उठाएं. 10-20 सेकंड्स तक इसी स्थिति में रहें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं. भुजंगासन कई और स्वास्थ्य समस्याओं में भी लाभदायक माना जाता है.
धनुरासन
अस्थमा रोगियों के लिए धनुरासन काफी फायदेमंद हो सकता है. इस अवस्था में खुद को एक धनुष की तरह मोड़ना होता है. इस योगासन में श्वास का पूरा अभ्यास होता है. जो आपके फेफड़ों को मजबूत बना सकता है. अस्थमा रोगी रोजाना इस आसन को घर पर कर सकते हैं. शुरू में यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे अपनी गति को बढ़ाएं. धनुरासन करने के लिए पहले पेट के बल लेट जाएं और फिर अपने टागों को उलटी दिशा में मोड़ें और हाथों से पकड़ लें. छाती के ऊपर के हिस्से को ऊंचा उठा लें. इस अवस्था में कुछ देर तक रहें और फिर नॉर्मल पोजिशन में आ जाएं. इस दौरान लगातार सांस लेते और छोड़ते रहें.
अनुलोम-विलोम
इसके लिए सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं. अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें. तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें. अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें. इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें. इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं. इस प्राणायाम को करने से क्रोनिक डिजीज, तनाव, डिप्रेशन, हार्ट के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है. इसके अलावा ये मांसपेशियों की प्रणाली को भी ठीक रखता है. इसे 10 से 15 मिनट करें.
पवन मुक्तासन
पनमुक्तासन का रोजाना अभ्यास आपको अस्थमा में फायदा दिला सकता है. अस्थमा रोगियों के लिए यह आसान कारगर माना गया है. इस आसन को करने से शरीर की दूषित हवा बाहर निकल सकती है. यह योग अस्थमा रिगियों के लिए एक नेचुरल उपाय साबित हो सकता है. इस आसान में अपनी श्वसन क्रिया का ध्यान रखें. पवन मुक्तासन करने के लिए शवासन की मुद्रा में लेटकर अपने दोनों पैरों को एक-दूसरे से मिला लें. अपने हाथों को कमर पर रखें. अपने पंजों को जमीन पर रखते हुए पैरों को घुटनों के पास से मोड़ें. अब धीरे-धीरे दोनों घुटनों को छाती पर रखें. अपने हाथों की कैंची बनाते हुए घुटनों को पकड़ें. अपनी सांस को बाहर निकालते हुए सिर को जमीन से ऊपर उठाते हुए अपनी ठोड़ी को घुटनों से मिलाएं. हाथों की कैंची बनी हथेलियों से घुटनों को छाती की ओर सुविधानुसार दबाएं.
भ्रामरी प्राणायाम
सुखासन, अर्द्धपद्मासन या पद्मासन जैसे योगासन को करने वाली आरामदायक पोजिशन में बैठ जाएं. अपनी पीठ को सीधा करें और आंखों को बंद कर लें. हाथ के अंगूठे को कान के ऊपर रखें. फिर रिंग फिंगर को नाक के पास रखें, मिडल फिंगर को पलकों के ऊपर और इंडेक्स फिंगर को माथे पर रखें. अब गहरी सांस लें. सांस लेते समय ॐ का उच्चारण करें. इस प्रक्रिया के दौरान मुंह को बंद रखें और ध्वनि के कंपन को महसूस करें.