कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। भ्रष्टाचार से जुड़े गंभीर मामले की ग्वालियर हाईकोर्ट में 21 सालों तक सुनवाई चली, लेकिन सुनवाई के दौरान आरोप सिद्ध नहीं होने पर सचिव समेत सभी 19 आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया गया है. कोर्ट में जिम्मेदार जांच अधिकारियों की दोषपूर्ण और अधूरी जांच पर कोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की है.
दरअसल पूरा मामला साल 2002 का है, जहां तत्कालीन मंडी के उपाध्यक्ष राव किशन सिंह की शिकायत पर EOW ने आर्थिक अनियमितता से जुड़े बड़े भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था. आरोप लगा था कि मंडी के तात्कालिक सचिव और कुछ कर्मचारयों ने मिलकर फर्जी अनुज्ञा पत्र छापकर उनका दुरुपयोग किया है. जिससे लाखों रुपये टैक्स का गबन किया गया. बताया गया कि एक ही रसीद का उपयोग कई बार किया गया. साथ ही किसी के नाम की रसीद कोई और प्रयोग कर रहा था. फर्जी अनुज्ञा पत्र बाहरी राज्यों में प्रयोग करने का भी आरोप था.
सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष के अधिवक्ता मनोज उपाध्याय ने कोर्ट में बताया कि इस मामले के जांच अधिकारी को नियमों की जानकारी नहीं थी. उन्होंने ग्राउंड इन्वेस्टिगेंशन किए बिना ही गलत रिपोर्ट पेश की है. उन्होंने जो घोषणापत्र दिया उसमें व्यापारियों के अनुज्ञापत्र के हैंडराइटिंग की जांच नहीं करवाई और सचिव का अनुज्ञा पत्र बनाए जाने में कोई लेना देना होता नहीं है. ऐसे में मामले में गलत आरोपी बनाया गया है.
लिहाजा न्यायालय ने आरोप सिद्ध न होने पर सभी 19 आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया है. हालांकि इस मामले में कुल 26 लोगों के खिलाफ मामला मुकदमा चल रहा था, जिसमें डबरा अनाज मंडी के तत्कालीन सचिव विजय जैन के अलावा समिति के कई पदाधिकारी और व्यापारी शामिल थे. मुकदमे का फैसला आने तक सिर्फ 19 लोग ही मामले में शेष रहे बाकी कुछ इस मामले में फरार हैं तो कुछ दुनिया ही छोड़ चुके हैं.
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