वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। उच्च न्यायालय में प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश विभु दत्त गुरु की डिवीजन बेंच पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने पूछा, ध्वनि प्रदूषण को लेकर राज्य सरकार का क्या रोडमैप है..? कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 में संशोधन पर भी जवाब मांगा।
महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण विनियमन एवं नियंत्रण नियम, 2000 के अनुरूप कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में आवश्यक संशोधन करने के लिए गठित समिति की बैठक हुई है। शीघ्र ही कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में उक्त संशोधन किए जाएंगे।

वहीं उच्च न्यायालय में इस जनहित याचिका का एक और विषय है लेसर लाइटिंग। कोर्ट में कहा गया कि लेजर लाइटनिंग के कारण नागरिकों की आंखें प्रभावित हो रही है, जिससे उनके रेटिना और कॉर्निया को नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन इसका कोई साइंसटिफिक डेटा पेश नहीं है।
कोर्ट में यह भी बताया गया कि उपरोक्त मुद्दा इस न्यायालय द्वारा पहले भी उठाया गया था, जैसा कि इस न्यायालय के दिनांक 21/10/2024 के आदेश से परिलक्षित होता है और ऐसा प्रतीत होता है कि त्योहारों और विवाह समारोहों में डीजे साउंड सिस्टम बजने पर उपयोग की जाने वाली उक्त लेजर लाइटों पर अंकुश लगाने के लिए कोई रोडमैप तैयार नहीं किया गया है। इसके मद्देनजर प्रमुख सचिव, (गृह), छत्तीसगढ़ सरकार इस संबंध में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल किया, लेकिन लेजर लाइटिंग को रोकने कोई रूल्स और रेगुलेशन नहीं है। न्यायालय ने लेसर लाइटिंग को लेकर उचित अध्ययन और प्रायोगिक डेटा पेश करने का निर्देश दिया है और कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के संशोधन किए जाने की जानकारी पेश करने का आदेश दिया है। वहीं अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2025 को निर्धारित की है।
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