कुमार इंदर, जबलपुर/दिल्ली। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27% आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस मामले में छह साल बाद राज्य सरकार ने यू-टर्न लेते हुए ओबीसी छात्रों की तरफ से दायर याचिका का समर्थन किया है। सुनवाई के दौरान ओबीसी छात्रों का पक्ष एडवोकेट वरुण ठाकुर ने रखा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ में लागू बढ़े हुए आरक्षण की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी 27% आरक्षण लागू करने की मांग की।
छत्तीसगढ़ में लागू आरक्षण मॉडल की मांग
मामले की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि कई वर्षों से चयनित ओबीसी अभ्यर्थियों के रिजल्ट को 13% होल्ड आरक्षण के कारण रोककर रखा गया है। इस वजह से मध्य प्रदेश में कोई भी सरकारी भर्ती पूरी तरह से संपन्न नहीं हो पा रही है, जिससे सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार 27% ओबीसी आरक्षण के तहत भर्ती प्रक्रिया को जारी रखना चाहती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में लागू आरक्षण मॉडल का हवाला देते हुए मध्य प्रदेश में भी इसे लागू करने की वकालत की।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है कि 13% होल्ड पदों पर नियुक्तियों में क्या दिक्कतें हैं। कोर्ट ने सरकार को शपथपत्र (एफिडेविट) के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी, जिसमें इस मुद्दे पर निर्णायक फैसला होने की उम्मीद है। यह सुनवाई मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, क्योंकि लंबे समय से अटके इस आरक्षण के लागू होने से हजारों उम्मीदवारों को राहत मिल सकती है।
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