कुमार इंदर, जबलपुर। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ अनर्गल और आपत्तिजनक पोस्ट और वीडियो को लेकर आज फिर से हाईकोर्ट में सुनवाई की गई। इस दौरान उच्च न्यायालय में फेसबुक की दलीलें टिक नहीं पाई। वहीं HC ने कहा कि फेसबुक अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता है। याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस तरह की वीडियो टिप्पणी के लिए फेसबुक को जिम्मेदार माना है।
मंगलवार को हाईकोर्ट में मेटा (फेसबुक) की ओर से तर्क दिया गया कि फेसबुक एक इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल पोर्टल है, जिसका किसी भी प्रकार का नियंत्रण उसके कंटेंट को लेकर नहीं है। लिहाज़ा फेसबुक किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा यदि कोई भी मटेरियल पोस्ट की जानकारी नहीं लें सके या उसे हटा सके। यही नहीं फेसबुक के द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि रंजीत सिंह पटेल को किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं है कि वह किसी अन्य व्यक्ति के विषय में माननीय न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत करें।
Facebook के द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि नियमानुसार फेसबुक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज दुबे ने बताया कि फेसबुक इस तरह से तर्क देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज दुबे ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2022 के एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस तरह की कंटेंट या अपमानजनक चीजों के लिए सोशल मीडिया या फेसबुक जिम्मेदार होगा। जिसके बाद फेसबुक की ओर से अपनी जिम्मेदारी सस्वीकारते हुए अपनी याचिका वापस ले ली गई।
ये है पूरा मामला
दरअसल, बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर अनर्गल मटेरियल टिप्पणी और वीडियो के खिलाफ रंजीत सिंह पटेल के द्वारा उच्च न्यायालय में एक याचिका लगाई गई है। जिसमें हाईकोर्ट से यह अपील की गई है कि धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ पोस्ट और वीडियो को हटाया जाए। इसी बात को लेकर 4 दिसंबर, 2023 को हाईकोर्ट ने एक आदेश किया था कि धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ सोशल मीडिया फेसबुक ट्विटर पर इस तरह की आपत्ति जनित चीजों को हटाया जाए।
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