नई दिल्ली। भारत में हार्ट अटैक (Heart Attack) से लोगों की धड़कनें तेजी से रुक रही हैं. ये जानलेवा बीमारी युवा-बुजुर्ग कुछ नहीं देख रही है. मौत का बज्र चलाकर अच्छे खासे व्यक्ति को हमेशा के लिए गहरी नींद में सुला रही है. हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला (Bollywood actor Siddharth) की हार्ट अटैक (Heart Attack) से हुई मौत (Death due to heart attack) ने सभी को चौंका दिया है. इससे जाहिर होता है कि ये बीमारी कैसे युवाओं को भी चपेट में ले रही है. अब भारत में भी हार्ट अटैक से हुई मौतों की संख्या लोगों को डरा रही हैं.

भारत में जिस रफ्तार से हार्ट अटैक (Heart Attack) की संख्या बढ़ी हैं, उससे हर तबका खौफजदा है. हार्ट अटैक और हृदय से जुड़ी बीमारियों को लेकर तमाम संस्थाओं और एजेंसियों की रिपोर्ट्स चौंका रही हैं. इस बीमारी ने बड़ी संख्या में लोगों की जिंदगी छीनी है, जो भारत (India Heart Attack) के लिए चिंताजनक है. कई रिपोर्ट्स कहते हैं अमेरीका में (heart attack in America) हर 40 सेंकड में एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है.

भारत में मरने वालों के आंकड़े-

53 फीसदी इजाफा
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े कहते हैं कि भारत में वर्ष 2014 के बाजद हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या बढ़ी है.

  • वर्ष 2014 में अगर इससे मौतों की संख्या 18309 था तो वर्ष 2019 में बढ़कर 28,005 हो गया
  • पांच साल में हार्ट अटैक से जुड़ी बीमारियों और मौतों में 53 फीसदी का इजाफा देखा गया
  • हार्ट से जुड़ी बीमारियां अब हर एज ग्रुप में बढ़ रही हैं
  • भारत में अब हर 04 बीमारी से मरने वाली मौतों में एक मौत हार्ट अटैक से होती है
  • लेंसेट की रिपोर्ट कहती है कि अब शहरी लोगों से ज्यादा गांवों के लोगों को ये बीमारी ज्यादा शिकार बनाने लगी है.
  • एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि ये बीमारी अब हर 14-18, 18-30, 30-34 आयु वर्ग में भी खूब हो रही है. हालांकि अब भी ये 45-60 उम्र के लोगों में ज्यादा है.

क्यों ज्यादा होने लगी हैं हृदय से जुड़ी बीमारियां
डब्ल्यूएचओ इसकी वजह अस्वास्थ्यकर खाने, शारीरिक सक्रियता के अभाव, तंबाखू सेवन और शराब के हानिकारक सेवन से हो रहा है. तंबाखू का इ्स्तेमाल खत्म करने के साथ खानपान में नमक कम करने और ज्यादा फल-हरी सब्जियां खाने से नियमित फिजिकल एक्टीविटीज से इस पर कंट्रोल हो सकता है.

कब होता है हार्ट फेल ?

किसी इंसान का हार्ट फेल उस वक्त होता है, जब उसके दिल की मांसपेशियां खून को उतनी कुशलता के साथ पम्प नहीं कर पाती जितने की उसे जरूरत है. इस कंडीशन में संकुचित धमनियां और हाई ब्लड प्रेशर दिल को पर्याप्त पम्पिंग के लिए कमजोर बना देते हैं. ये एक क्रॉनिक समस्या है जिसका समय पर इलाज न होने से कंडीशन बिगड़ सकती है. सही इलाज और थैरेपी इंसान की उम्र को बढ़ा सकता है.

हार्ट फेलियर के लक्षण

हार्ट फेल होने से पहले मरीज को सांस की तकलीफ हो सकती है. इसके अलावा कमजोरी और थकावट की दिक्कत बढ़ने लगती है. पंजे, एड़ी या पैर में सूजने बढ़ने लगती है. हार्ट बीट तेज और अनियमित हो सकती हैं. आपके एक्सरसाइज करने की क्षमता घट सकती है. लगातार खांसी और फ्लूड रिटेंशन की वजह से वजन बढ़ सकती है. भूख नहीं लगती है और बार-बार पेशाब आता है.

क्या है इलाज ?

शरुआती स्टेज पर इलाज मिलने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. हार्ट फेलियर के एडवांस केस में जरूरत पड़ने पर लेफ्ट वेंट्रीकुलर असिस्ट डिवाइस (LVAD) प्रोस्यूजर या थैरेपी के साथ एक हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. LVAD लेफ्ट वेंट्रिकुलर को मदद करता है जो कि हार्ट का सबसे प्रमुख पम्पिंग चैंबर है. इस स्थिति में एक बेहद सुरक्षित विकल्प माना जाता है.

लक्षण दिखने पर क्या करें ?

अगर किसी इंसान को ये सभी लक्षण महसूस हो रहे हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसका इलाज खुद करने का प्रयास न करें. डॉक्टर्स ही ये बता सकते हैं कि ऐसा हार्ट फेलियर की वजह से हो रहा है या कोई अन्य दिक्कत है.

read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus