इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बुधवार (2 जुलाई) को दावा किया कि युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ने के लिए कोविड वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है। इसके अगले दिन एम्स के डॉक्टरों ने इस मामले पर विस्तार से जानकारी दी। डॉक्टरों ने बताया कि इस विषय पर एक स्टडी की गई थी, जिसमें कोविड वैक्सीन और जानलेवा हार्ट अटैक के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं मिला। ऐसे में यह कहना उचित नहीं होगा कि कोविड वैक्सीन लगवाने वाले युवाओं को अचानक हार्ट अटैक आ रहे हैं और इससे उनकी मौत हो रही है। एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव नारंग ने दावा किया कि जिन लोगों ने वैक्सीन ली है, उनमें अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम है।
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वैक्सीन मृत्यु की वजह नहीं
डॉ. राजीव नारंग ने कहा कि कार्डियोलॉजिस्ट के अनुसार युवाओं में हो रही अचानक मृत्यु दो प्रकार की होती है, एक रिद्म समस्या और दूसरी हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी। इसके अतिरिक्त ब्लड क्लॉट की वजह से क्लासिकल हार्ट अटैक हो रहे हैं। हर मृत्यु की वजह अलग हो सकती है। कोविड के बाद लोग सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हुए हैं। अचानक मृत्यु को लेकर काफी तेजी से चीजें वायरल हो रही हैं। ऐसे में लोग बहुत जल्दी सतर्क हो रहे हैं। जहां तक कोविड वैक्सीन का सवाल है, इससे कोई मृत्यु नहीं हुई है।
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मौत की वजह?
डॉ. नारंग ने कहा कि स्टडी में पाया गया है कि जिनकी पारिवारिक इतिहास रही है, जिन्होंने शराब का सेवन किया है, या जिन्होंने 24 घंटे पहले परफॉर्मेंस इनहांसिंग एजेंट लिए हैं, यह सब मौत के कारण हो सकते हैं। एम्स के पल्मोनरी विभाग के डॉ. करण मदान ने कहा कि कोविड वैक्सीन अचानक मृत्यु का कारण नहीं है। कोविड वैक्सीन के लाभ काफी अधिक हैं।
‘हमने शरीर के सभी अंगों का परीक्षण किया’
एम्स और आईसीएमआर के सर्वे में शामिल एम्स के पैथोलॉजी विभाग के डॉ. सुधीर आहूजा ने कहा कि हमने कोविड से मरे लोगों का विश्लेषण किया। अधिकांश की मृत्यु फेफड़ों के क्षतिग्रस्त होने से हुई। अधिकांश युवाओं की जो मृत्यु हुई है, वह हृदय संबंधी कारणों से हुई है, विशेषकर अचानक मृत्यु के मामले। हमने उन सभी युवाओं के हृदय की जांच की जिनकी अचानक मृत्यु हुई। एक साल के सर्वे में 300 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से 98 से 100 मामलों में अचानक मृत्यु देखी गई।
इस सर्वे में पाया गया कि कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम में समस्या थी। कुछ के हृदय में संक्रमण था। कोरोनरी आर्टरी डिजीज की वजह से अधिकांश मौतें हुईं। हमने शरीर के सभी अंगों का परीक्षण किया। कई मामलों में ऐसा भी हुआ जहाँ सब कुछ सामान्य था, फिर भी मृत्यु हुई। कई मामलों में ऑटोप्सी रिपोर्ट निगेटिव आई।
इन कारणों से होता है हार्ट अटैक
डॉ. राजीव नारंग ने कहा कि आठ जरूरी चीजों में बदलाव कर हार्ट अटैक को रोका जा सकता है, स्मोकिंग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मानसिक तनाव, पेट की चर्बी (एब्डॉमिनल ओबेसिटी), नियमित व्यायाम की कमी और फल-सब्जियों के सेवन में कमी। जो सप्लीमेंट्स हम लेते हैं, उनका भी शरीर पर विपरीत असर पड़ सकता है, यदि उन्हें लंबे समय तक अधिक मात्रा में लिया जाए, तो वे खतरनाक हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 12 वैक्सीन को मंजूरी दी
सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा, “कोविशील्ड वैक्सीन की प्रभावकारिता 62.1 थी। अब तक 37 वैक्सीन को मंजूरी दी जा चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लगभग 12 वैक्सीन को मंजूरी दी है, और इनमें से अधिकांश वैक्सीन अलग-अलग तकनीकों पर आधारित हैं। अगर आप कोवैक्सिन को देखें, तो यह एक पुरानी तकनीक है। कोविशील्ड एक वेक्टर का उपयोग करता है जो एडेनोवायरस है। दूसरी वैक्सीन, स्पुतनिक, लगभग उसी सिद्धांत पर आधारित है। दुनिया भर में 13 बिलियन से अधिक खुराक पहले ही दी जा चुकी हैं। अमेरिका जैसे देश हैं, उन्होंने अभी-अभी चौथी खुराक पूरी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी सिफारिश कर रहा है कि छह महीने और उससे अधिक उम्र के सभी लोगों को नए वैरिएंट के साथ टीका लगवाना चाहिए।”
कोविड मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग को नियंत्रित करना मुश्किल
डॉ. तुलिका सेठ, एचओडी, हीमेटोलॉजी विभाग, ने कहा कि हमारे यहां ब्लड क्लॉटिंग के लिए एक विशेष क्लिनिक है। थ्रोम्बोसिस को लेकर हमारे विभाग ने काफी शोध किया है। वैक्सीन का स्वभाव ऐसा हो सकता है जिसमें ब्लड क्लॉटिंग संभव है। थ्रोम्बोसिस युवा लोगों में भी होता है। कई बार क्लॉट बनने का कारण पता नहीं चल पाता। कोविड में ब्लड क्लॉटिंग बहुत गंभीर होती थी जिसे सामान्य दवाओं से दूर नहीं किया जा सकता था।
हार्ट अटैक आने के प्रमुख कारण
युवाओं में अचानक हार्ट अटैक की प्रमुख वजह खराब जीवनशैली को बताया गया है। एम्स ने तीन वजहें बताई हैं, दिल की रिद्म गड़बड़ाना, हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी, ब्लड क्लॉट्स। एक दिन पहले ही शराब का सेवन करने वालों में भी समस्या पाई गई। स्टेरॉइड या परफॉर्मेंस बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन भी खतरनाक हो सकता है।
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