रायपुर. देवेंद्र नगर रायपुर स्थित श्री नारायणा हॉस्पिटल में 9 जुलाई और 10 जुलाई को क्रिटिकल एन्जियोप्लास्टी – इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड, रोटा एब्लेशन विषय पर ट्रेनिंग दिया जाएगा. मनिपाल हॉस्पिटल बेंगलुरु के ख्याति प्राप्त इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. डीएस चड्डा दो दिवसीय जटिल कोरोनरी एन्जियोप्लास्टी वर्कशॉप एवं कार्डियक सीएमई में छत्तीसगढ़ के हृदय रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देंगे. साथ ही एडमिट मरीजों के अत्यंत जटिल हृदय रोगों की इस नई टेक्निक से एन्जियोप्लास्टी करेंगे.

श्री नारायणा हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मनोज गुप्ता एवं डॉ. विनोद अग्रवाल ने बताया कि हार्ट के मरीजों में खून की धमनियों में कैल्शियम जमा हो जाता है, जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हार्ट अटैक होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. ऐसी परिस्थिति में एन्जियोप्लास्टी करते समय धमनी में बलून या स्टैंट डालने में परेशानी होती है. कभी-कभी ज्यादा कैल्शियम होने की वजह से बलून जा भी नहीं सकता एवं धमनी के फटने का डर रहता है, तब रोटा एब्लेशन थेरेपी द्वारा कैलशिफाइड ब्लॉक को सुरक्षित तरीके से हटाकर एन्जियोप्लास्टी करने में आसानी हो जाती है.

एन्जियोप्लास्टी में मरीज को नहीं होती परेशानी
उन्होंने बताया कि रोटा एब्लेशन थेरेपी में हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा जो कैथेटर उपयोग किया जाता है, उसकी टिप या नोज में रोटेट होने वाली याने घूमने वाली विशेष प्रकार की ब्लेड लगी होती है, जिससे खून की धमनी में जमा कैल्शियम को तोड़कर एन्जियोप्लास्टी के लिए रास्ता बनाया जाता है. जमा हुए कैल्शियम को तोड़कर बाहर निकाल लिया जाता है और आसानी से एन्जियोप्लास्टी हो जाती है. मरीज को कोई भी परेशानी नहीं होती, इससे हार्ट अटैक के मरीज को न केवल बचाया जा सकता है बल्कि उसकी बायपास सर्जरी की जगह एन्जियोप्लास्टी करके उसे ठीक भी किया जा सकता है.

किडनी के मरीजों के लिए भी लाभदायक
इससे जीरो कंट्रास्ट एन्जियोप्लास्टी की जा सकती है, जो किडनी के मरीजों के लिए बहुत ही लाभदायक है. श्री नारायणा हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका ने इस अत्याधुनिक आईवीयूएस तकनीक के बारे में बताया कि हृदय की धमनियों में ब्लाकेजेस एवं उसमें जमे कैल्शियम की मात्रा के एक्वरेट अनुपात का सटीक अनुमान मिलने से जटिल एन्जियोप्लास्टी के दौरान होने वाले कॉम्प्लिकेशंस को काफी हद तक कम किया जा सकता है.