सत्यपाल राजपूत, रायपुर. प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा में लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भटकना पड़ा रहा है. तीन महीने में भी प्रमाण पत्र नहीं बन रहा. इससे लोगों के कई महत्वपूर्ण कार्य रूक गए है. लोगों का कहना है कि डॉक्टर फाइल बनाने में लापरवाही बरत रहे हैं. बीस दिन में फाइल जमा हो रहा है. नियम के मुताबिक मृत्यु के बाद जल्द प्रमाण पत्र जारी करने का प्रावधान है.
रायपुर से अपने पिताजी की मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे एक व्यक्ति ने बताया कि वो दो माह से ज़्यादा इस विभाग का चक्कर काट चुके हैं और आज तक उसको मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला है. हर बार कुछ न कुछ कमी बताकर अगले हफ़्ते आने के लिए कहा जाता है. उन्होंने बताया कि उनको मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिलने से उनका लोन और बीमा राशि जो मिलना है वो लटका हुआ है. अगर वो मिल जाता है तो उस राशि को अपने भाई बहन की फ़ीस भरने और उनकी पढ़ाई में पैसे लगाएंगे.
बेमेतरा से अपने माता की मृत्यु प्रमाण पत्र लेने पहुंचे व्यक्ति ने बताया कि उसे हफ्ता पन्द्रह दिन में बुलाया जाता है, फिर अगले 15 दिन में आने की बात कहकर वहां से भगा दिया जाता है. इस तरह वह तीन माह तक चक्कर लगाया, तब जाके मृत्यु प्रमाण पत्र मिला.
एक व्यक्ति ने बताया कि भूमि रजिस्ट्री कराना है, जो अभी तक प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाया है. परिवार में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
इम मामले पर मेकाहारा के अधीक्षक विवेक चौधरी का कहना है कि नियम अनुसार जिस अस्पताल में मौत होती है. वहां से मृत्यु पत्र जारी होता है. यहां लेट नहीं होता. लेकिन ये जरूर होता है कि पोस्टमार्टम के रिपोर्ट लेट बनता है. स्टॉफ की कमी है.वहीं पोस्टमार्टम करते हैं, वहीं कोर्ट पेशी में जाते हैं और हर रोज पंद्रह से अठारह पोस्टमॉर्टम होता है. यदि मृत्यु प्रमाण पत्र में देरी हो रही तो पता करता हूं आखिर क्यों हो रहा है.
सूत्रों की माने तो कई लोगों का फाईल डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से रिपोर्ट गुम हो जाती है. डॉक्टर प्रमाण पत्र फार्म भरकर पंद्रह से बीस दिन में जमा करते हैं. इस कारण से प्रमाण पत्र बनने में लेट होता है.