रवि गोयल, सक्ती। सक्ती में ठेकेदारों की मनमानी पर लगाम लगाने पालिका के अधिकारी फेल हो चुके हैं. ऑफिस में बैठे-बैठे कागजों के आधार पर धड़ल्ले से गुणवत्ताहीन कामों का बिल पास किए जा रहे हैं, ताजा मामला सक्ती नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 11 का है, जहां लाखों की लागत से बनाई गई नाली बनते ही टूटने लगी है. इस बात की जानकारी पालिका अधिकारियों को होने के बाद भी ठेकेदार के बिल को पास किया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि सक्ती के झुलकदम के चर्च के बगल में कुछ दिन पूर्व ही नाली निर्माण का कार्य हुआ है, जिसमें न तो पर्याप्त मात्रा में सरिया लगाया गया है, न ही पर्याप्त सीमेंट का उपयोग हुआ है, जिसके चलते अभी से नाली टूटने लगी है. वार्ड के लोग भी इस घटिया निर्माण से काफी अक्रोशित है. लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य को देखने कभी भी पालिका के जिम्मेदार अधिकारी नहीं आए. ठेकेदार ने मनमाने तरीके से नाली बना दिया है, जो अब टूटने लगा है.

लोगों का कहना है कि सक्ती जिला बनने के बाद यह उम्मीद थी कि कम से कम जिला मुख्यालय में इस तरह का घटिया निर्माण कार्य नहीं होगा. लेकिन सक्ती में कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम जैसे बड़े-बड़े अधिकारियों के बैठने के बावजूद इस तरह का काम होना समझ से परे है.

सही जांच हुई तो कईयों पर गिरेगी गाज

जानकारों का कहना है कि सक्ती में चल रहे और हो चुके निर्माण कार्य की जांच किसी सक्षम अधिकारी से करा दी जाए तो कई जिम्मेदारों पर गाज गिर सकती है, क्योंकि अगर घटिया निर्माण कार्य हो रहा है तो इंजीनियर कहां है. वहीं इस तरह के निर्माण कार्य की टेस्ट रिपोर्ट कैसे पास हो रहा है. ये सारे सवाल इसी और इशारा कर रहे है कि सक्ती में मिली-जुली सरकार से ठेकेदार बेखौफ अपनी मनमानी कर रहे हैं.

अधिक दाम में लिए जा रहे टेंडर फिर भी…

बता दें कि सक्ती नगर पालिका में ठेकेदारों का सिंडिकेट तैयार हो चुका है, जो शासन को चूना लगाने हर ठेके को निर्धारित मूल्य से अधिक में ले लेते हैं. टेंडर डालने से पहले ही सभी आपसी समझौता कर काम को बांट लेते हैं, और टेंडर मूल्य से 10 से 15 प्रतिशत अधिक में ठेका ले लेते हैं. अधिकारी भी इस खेल से परिचित होने के बाद भी अपने फायदे के लिए आंखों में पट्टी बांध लेते हैं.

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