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रोहित कश्यप, मुंगेली– लापरवाही का ऐसा आलम की जिन बच्चों के हाथों मे किताब और पढ़ाई की जिम्मेदारी होती है. उन बच्चों से हेमाली का काम लिया का रहा है. इसके एवज में बकायदा उनको मजदूरी दी जा रही है. ये शर्मनाक नजारा है मुंगेली जिले के गुरूवाइनडबरी धान खरीदी केंद्र की, जहां स्कूली बच्चों को प्रबंधक शिवचरण मानिकपुरी ने हेमाल बना दिया है.
धान खरीदी बन्द होने के बाद विपणन द्वारा उठाव किया जा रहा है. बचे हुए धान जमीन पर गिर गए है उसको साफ करके पुनः बोरे में इन स्कूली बच्चों से भराया जा रहा है. करीब 15 से 20 दिन तक काम करने वाले इन स्कूली बच्चों को इसके लिए 1 बोरे धान भरने के पीछे उनकी रोजी 10 रुपए भी दी जा रही है.
स्कूल जाने के बजाय बच्चे यहां आकर मजदूरी कर रहे हैं. हैरानी की बात तो तब हो गई जब ये बच्चे खुद बता रहे हैं कि उनको इसके लिए पहले 5 रुपए दिए जाते थे और अब बढ़ाकर 10 रुपए दिए जा रहे हैं. निश्चित तौर पर स्कूली बच्चों को इस तरह पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करने की बजाय हेमाल बनाना गलत है.
बाल श्रम पर रोक लगाने भले ही कड़े और सख्त कानून बनाये गए हो मगर इसका पालन किस तरह से हो रहा है ये तस्वीरें बयां कर रही है. सवाल ये है कि खुलेआम इस तरह से बालकों का शोषण करने वालों पर जिला प्रशासन कुछ कार्यवाही करेंगी या नहीं. ये देखने वाली बात होगी.