गरियाबंद. काण्डसर गौशाला में होली के सात दिन पहले गौसेवा पर आधारित पहले मेला का आयोजन होता है. ब्रम्ह यज्ञ के पूर्णाहुति के राख से फिर होली खेली जाती है. क्षेत्र भर से बाबा उदयनाथ के सैकड़ों श्रद्धालुओं के अलावा दूर-दूर से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

गौ वंश की रक्षा व उसके महत्व को समझाने कांडसर गौ सेवा केंद्र के गौसेवक बाबा उदयनाथ द्वारा 16 साल पहले विश्व शांति ब्रम्ह यज्ञ वार्षिक महिमा सम्मेलन का आयोजन शुरू किया गया था. होली के 4 दिन पहले इस आयोजन की शुरुवात प्रति वर्ष होता है. इस बार 15 मार्च को कलश यात्रा व गौ अभिनन्दन के साथ इस यज्ञ की शुरूवार किया गया. गौ काष्ठ व आयुर्वेदिक विभिन्न औसधि को हवन कुंड में डाला जाता है. प्रातः ब्रम्ह मुहूर्त में बाबा उदयनाथ व उनके अनुयायी उठने के बाद देर रात तक निराकार ब्रम्ह के उपासक विधि के अनुसार हवन आहुति भजन कीर्तन के अलावा गौ महत्व को बताने कथा का वाचन होता है.

समापन 18 मार्च की सुबह के पूर्णाहुति के साथ होगा. सैकड़ों की संख्या में मौजूद अनुयायी पूर्णाहुति की राख का तिलक लगाकर इस दिन होली खेलते है. आयोजन के पूरे पांच दिन तक भंडारे का आयोजन गौशाला में ही होता है. ओड़िसा के कई जिलों के अलावा रायपुर, बिलासपुर जिले से भी भक्त पहुंचते हैं. उदयनाथ के 7 हजार अनुयायी परिवार के सदस्य के अलावा रास्ट्रीय स्वयम सेवक संघ के कई दिग्गज के अलावा गौ वंश के प्रति आस्था रखने वाले सैकड़ों लोग बाबा उदयनाथ के गौ सेवा केंद्र में पहूचे हुए थे, विहिप के कार्यकर्ताओं ने भी बाइक रैली निकाल के आश्रम पहुंचे और गौ स्वागत कार्यक्रम में भाग लिया.

इसे भी पढ़ें – युवक की नहीं हो रही थी शादी, तांत्रिक के कहने पर मासूम बच्ची का किया अपहरण, होली पर दी जानी थी बलि, तभी…

4 किमी से भी ज्यादा लंबे सफेद सूती वस्त्र में गौ माता करती है भ्रमण- गौ माता के विधिवत पूजा अर्चना के बाद यज्ञ शुरू होने से पहले गौ वंश को काण्डसर गौ शाला से मूख्य बस्ती जो लगभग 4 किमी है,का भ्रमण कराया जाता है. बाबा के अनुयायी गौ माता के जयकारे लगाते हुए ,बाजा गाजा के साथ ग्राम भ्रमण पर निकलते हैं. गौ माता के राह में गांव भर में सूती कपड़े बिछाया गया रहता है. इसी कपड़े पर गौवंश चलते है. जगह-जगह गौ वंश का स्वागत पूजा-अर्चना के साथ किया जाता है. ऐसे भी भक्त होते है जो गौ माता के राह में पेट के बल लेट कर उनके पांव अपने शरीर मे लेते हैं, मान्यता है कि ऐसा करने से रोग ब्याधि से मुक्ति मिलती है.

गौ सेवक बनना आसान नही

बाबा उदय नाथ ने कहा कि इस आयोजन का मकसद गौ वंश की रक्षा व उसके प्रति आस्था को बनाए व बढ़ाए रखना है. गौवंश कि सेवा भले ही कठिन है पर फलदाई है. बदलते जमाने मे लोग अन्य पालतू जानवर पाल कर जो शान समझते है, ऐसे लोगो को गौ पालन के महत्व को समझाने के लिए यह आयोजन किया जा रहा है. साल दर साल भक्तों की लगने वाली भीड़ इस बात का प्रमाण है कि लोगों का रुझान गौ सेवा के प्रति बढ़ रहा है.