पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार के साथ ही लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई है. प्रदेश की जनता को उम्मीद है कि पिछली सरकार जो अपने 15 साल में नहीं कर पाई नई सरकार उसे जरूर पूरा करेगी. गरियाबंद के बीहड़ जंगल में बसे कुल्हाड़ीघाट के लोग भी कुछ ऐसा ही सोच रहे है. बता दें कि कुल्हाड़ीघाट ग्राम कहने को तो सांसद आदर्श ग्राम है पर सच्चाई कुछ और ही बयां करती हैं.
17 जुलाई 1985 का वो दिन कुल्हाड़ीघाट के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी अपनी पत्नी सोनिया गाँधी के साथ उनके गांव आये थे. गांव की बल्दी बाई के लिए तो वो दिन और भी खुशियों से भरा था. क्योंकि राजीव गाँधी ने उनकी झोपड़ी में बैठकर ही कंदमूल खाये थे. साथ ही यहाँ के आदिवासियों की हालत देखकर इस गांव को गोद लेने का निर्णय लिया था. उसके बाद जब तक कांग्रेस की सरकार रही गांव में कुछ बुनियादी काम तो हुए मगर गांव विकास की राह नहीं पकड़ पाया. 33 साल बाद आज भी गांव के हालात जस के तस बने हुए है. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 95 वर्षीय बल्दी बाई सहित गांव के दूसरे लोगों को अब एक बार फिर यहाँ की तस्वीर और तकदीर बदलने की उम्मीद जगी है.
यदि गांव के ताजा हालात की बात की जाए तो स्थिति बेहद गम्भीर है, गांव में रोजगार एक बड़ी समस्या बनी हुई है. काम की तलाश में अभी गांव के 135 लोग पलायन कर चुके है. गांव तक सड़क तो बन गई, मगर बीच रास्ते में पड़ने वाले 4 पुल नहीं बनने के कारण आज भी लोगों को ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंच पाना मुश्किल होता है. गॉव में स्कूल है मगर शिक्षक नहीं है. अस्पाल है मगर डॉक्टरों की कमी के कारण गेट पर हमेशा ताला ही लटका रहता है. कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही कांग्रेसियों ने एक बार फिर कुल्हाडीघाट के बारे में चर्चा करना शुरु कर दिया है.
नई सरकार की घोषणाओं और दावों को लेकर प्रदेशवासियों कि तरह कुल्हाड़ीघाट के लोगों में भी आशा जगी है, अब देखने वाली बात होगी कि नई सरकार लोगों की उम्मीदों पर कब और कितनी खरी उतर पाती है.