कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर के अधारताल स्थित मां लक्ष्मी का मंदिर अपनी कई विशेषताओं के चलते जाना जाता है। लक्ष्मी नारायण पचमठा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में मां लक्ष्मी की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, इस प्रतिमा के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी के चरणों पर पड़ती हैं। यही नहीं यह प्रतिमा दिन में तीन बार लोगों को रंग बदलती हुई दिखाई देती है।

READ MORE: मध्यप्रदेश में धूमधाम से मनाया जाएगा गोवर्धन पर्व, गौशालाओं में मंत्री-विधायक करेंगे पूजा

मंदिर के पुजारी रामकिशोर बताते हैं कि यहां स्थापित प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है. कुछ लोग केवल इसी का अनुभव करने के लिए ही लक्ष्मी नारायण मंदिर आते हैं। प्रात: काल में मां की मूर्ति सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली रंग की दिखाई देती है। इस मंदिर का इतिहास कुछ ऐसा है माँ लक्ष्मी का ये अद्भुत मंदिर गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेनापति रहे, दीवान अधार सिंह के नाम से बने अधारताल तालाब में करवाया गया था. इस मंदिर में अमावस की रात भक्तों का तांता लगता है. लक्ष्मी नारायण पचमठा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए भी साधना का विशेष केंद्र हुआ करता था।

मंदिर के चारों तरफ श्री यंत्र की है अनूठी संरचना

मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है. जो 1100 साल पहले बना था. मंदिर के अंदरूनी भाग में लगे श्रीयंत्र की अनूठी संरचना के बारे में भी हमेशा चर्चा की जाती है। साथ ही एक और खास बात इस मंदिर से जुड़ी है, जिसके अनुसार आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है। 

मंदिर में दर्शन करने से होती है मनोकामना पूरी

मंदिर की मान्यता हैं सात शुक्रवार यहां पर आकर मां लक्ष्‍मी के दर्शन कर लिये जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मंदिर के कपाट केवल रात को छोड़ कर हर समय खुले रहते हैं। सिर्फ दीपावली को ऐसा होता है जब पट रात में भी बंद नहीं होते। श्रद्धालुओं का कहना है कि सच्चे मन से जो मां लक्ष्मी के पास अपनी मनोकामनाएं लेकर आता है, वह मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दूसरी तरफ दिवाली के खास मौके पर पंचगव्यों से महाभिषेक किया जाता है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H