पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. जिले के बिरीघाट में 1 करोड़ 33 लाख रुपए से तैयार हो रहे फलदार पौधा रोपण योजना के तहत लगाए गए 12 हजार पौधों में से डेढ़ हजार पौधे एक महीने में ही मर गए. जनपद सदस्य ने भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, तो गांव की बैठक में सरपंच ने बताया नाम भर का पँचायत को क्रियान्वयन एजेंसी बनाया गया. सब कुछ जिला पंचायत सीईओ का दबाव बना कर उनके लोगों ने किया है. अब ग्रामीण लामबद्ध होकर शिकायत की तैयारी कर रहे हैं.
बिरीघाट में एप्पल बेर के जरिये आय अर्जित कर पँचायत को समृद्ध बनाने का योजना तैयार किया गया. मनरेगा के तहत योजना के लिये 1 करोड़ 33 लाख की मंजूरी भी दे दी गई. योजना के लिये चयनित 45 एकड़ सरकारी जमीन में 20 हजार फलदार पौधा लगाने थे. सुनने में तो अच्छा लग रहा था पर जब काम जमीनी स्तर पर शूरू हुआ, तो आंख फटी की फटी रह गई. 20 अगस्त के बाद आनन फानन में 12 हजार पौधा लगाए गए पर काम में भारी लापरवाही के कारण एक माह के भीतर डेढ हजार पौधे सुख गए. कारण पता चला कि कार्य में पेपरों पर क्रियान्वयन एजेंसी पँचायत को बताया गया.
सरपँच भुवन मांझी ने बताया कि मजदूरी निकालने व हाजरी भरने का काम भर पँचायत से करवाया गया. अधिनियम में प्रवधान के मुताबिक कार्य एजेंसी के सहमति बगैर कोई भी वेंडर सामग्री सप्लाई नहीं कर सकता. सरपँच मांझी ने कहा कि ताज्जुब तो तब हुआ जब 15 दिन के भीतर काम के मटेरियल सप्लायर के नाम 73 लाख रुपये ट्रांसफर किये गए. सामग्री के अनुपात में 15 लाख की मजदूरी होनी थी. केवल 9 लाख रुपए मजदूरी का भुगतान हुआ है. 2 अक्टूबर को ग्राम में चल रहे सामाजिक अंकेकच्छन के बाद आपसी चर्चा में सूख कर मर रहे एप्पल बेर के पौधों की चर्चा हुई तो, सरपँच ने खुल कर बताया कि उनके अधिकारों का किस तरह से हनन हुआ है.
सरपंच बोले कि जिला सीईओ का आदमी बताकर वेंडर के लोग कहीं भी कभी भी बिल में दस्तखत करा लेते थे. नहीं करने पर जिला स्तरीय जांच फिर बड़ी कारवाही के लिये तैयार रहने की धमकी भी देते थे. सरपंच के आपबीती जानने के बाद मामले में जांच कराने का निर्णय ग्रामीणों ने लिया है. ज्ञापन तैयार कर शिकायत के लिये नए जिला सीईओ व सीएम तक करने का निर्णय लिया है.
जिला सीईओ आर पी खूंटे ने कहा कि पूरा काम पूर्व अधिकारी के कार्यकाल का है. शिकायत मिलने पर बिन्दुवार जांच की जाएगी. जो भी दोषी होंगे कार्यवाही होगी. बढ़ा चढ़ा कर स्टीमेट बनाया ताकि झोल झाल कर सकें. उस क्षेत्र के जनपद सदस्य निर्भय ठाकुर ने मामले को लेकर कई गम्भीर आरोप लगाए हैं. निर्भय ने बताया कि 1400 खम्भे के जगह केवल 800 खम्भे लगे. 7 क्विंटल स्तरहीन तार से फेंसिंग कर लागत से चारगुना रकम की बिलिंग किया गया. ठाकुर ने प्रमाणिक दस्तावेज का हवाला देकर बताया कि काली मिट्टी व दवा की लिक्विड नहीं के बराबर डाला गया, लेकिन इसके एवज में 25 लाख से ज्यादा का रकम निकाला गया.
ठाकुर ने बताया कि काम कर रहे दोनो वेंडर को जिला से भेजे गए इंजीनियर बता कर गुमराह किया जाता रहा. ठाकुर ने कहा कि तत्कालीन सीईओ के सामने सारा अमला दबाव में काम किया जिसके कारण इतने बड़े घपले को आसानी से अंजाम दिया गया है. जनपद सदस्य ने दावा किया है कि मामले की जांच कि गई तो कई चौकाने वाले तथ्यों का खुलासा होगा.