पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. जिले के भैरी गुड़ा गांव के लोगों को समस्या बढ़ती जा रही है, जिसको देखते हुए ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का निर्णय ले लिया है. ग्रामीणों की मांग है कि गांव में सड़क नहीं होने से इमरजेंसी में निजी डॉक्टर भी आने को कतराते है . खाट में लाद कर मरीज व गर्भवती को अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. इनका कहना है कि ग्रामीण यदि चुनाव बहिस्कार का निर्णय नहीं मानते है और वोट करने जाते है तो उनसे हर्जाना के रूप में पैसे लिए जाएंगे और उसी पैसे से सड़क का निर्माण कराया जाएगा.

दरअसल आज एक और गांव ने चुनाव बहिस्कार का निर्णय लेकर अपनी मंशा से प्रशासन को अवगत करा दिया है. कुम्हडई खुर्द पंचायत के आश्रित भैरी गुड़ा गांव के करीबन 400 ग्रामीणों ने गांव में सड़क नहीं बनने के कारण अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है. 200 से भी ज्यादा लोगों के हस्ताक्षरयुक्त आवेदन एसडीएम व जनपद सीईओ को सौंपने के अलावा कलेक्टर के नाम प्रेषित किया है. ग्रामीणों ने विगत 15 साल में बने जनप्रतिनिधि का नाम एवं सरकार के द्वारा चलाये गए सुराज अभियान में कई बार आवेदन देने के बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं करने का जिक्र कर आगामी विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की जानकारी दिया है.

मामले में जनपद सीईओ मोहनीश देवांगन ने बताया कि पूर्व में कई मर्तबे सड़क निर्माण के लिये प्रयास किये गए. सड़क के दायरे में आने वाले लगानी जमीन देने के लिये ग्रामीणों की सहमति नहीं हो पाती, जिसके कारण सड़क कार्य प्रभावित है. भैरीगुड़ा से करलागुड़ा पहुंच मार्ग पर पीएम योजना से सड़क बनाने पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया है. ज्ञापन मिलने के बाद आरईएस एसडीओ को मौक़े पर जाने के निर्देश दिए गए हैं.

मुर्दे की तरह मरीज को ले जाने मजबूर है ग्रामीण

बहिस्कार के बाद बनाये गए ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष रायधर यादव, सोमवरू, बेनूराम ने बताया कि सड़क नहीं होने के कारण यहां तक सरकार की कोई इमरजेंसी सेवा का लाभ नहीं मिल पाता है. उल्टी दश्त व गर्भावस्था में समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण पिछले 10 सालों में 20 से भी ज्यादा ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. निजी डॉक्टर भी यहां आने के लिये कतराते है, ऐसे में मरीजो को मुर्दे की भांति खाट में डाल कर ले जाना पड़ता है.

8 किमी का सफर भी महंगा पड़ जाता है

पंचायत मुख्यालय वैसे तो 2 कि.मी है, जहां नदी रपटा पार कर के पैदल ही आना जाना करना होता है. दूहिया से आने जाने के लिये करलागुड़ा होते 8 किमी का सफर तय करना होता है. शूरू के 4 किमी के सड़क में बड़े-बड़े गढ़े हो गए है. 15 दिन पहले 32 वर्षीय बसन्त इस मार्ग में आवाजाही के दरमयान गिर गया. उसके जांघ की हड्डी टूटने से अब वे बैठ भी नहीं सकता, घर का इकलौता कमाऊ लकड़ी के सहारे चलने को मजबूर है. स्कूली बच्चे भी आये दिन दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. लोगों ने दुपहिया वाहन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है.

निर्णय के खिलाफ गया तो, देना होगा हर्जाना

समिति प्रमुख रायधर ने बताया कि सभी के सहमति से चुनाव बहिस्कार का निर्णय लिया गया है. तय यह भी हुआ है कि शासन से मदद नहीं मिली तो, ग्रामीण अपने बल बूते आने वाले समय में सड़क निर्माण करेंगे. ऐसे में कोई प्रलोभन में आकर मतदान करने गया तो उसे हर्जाने भरने का प्रावधान किया गया गया है. निर्णय के मुताबिक एक व्यक्ति को 5 हजार व परिवार मतदान किया तो 21 हजार रुपये का हर्जाना ग्राम समिति को देगा. इस रकम का उपयोग सड़क बनाने के लिये किया जाएगा.