दिल्ली। एक अनोखे फैसले में देह व्यापार को जायज ठहराते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी शख्स को अपना पेशा चुनने का हक है और देह व्यापार करना गलत नहीं है।
हाईकोर्ट ने तीन महिलाओं से जुड़े देह व्यापार के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि, किसी भी वयस्क महिला को अपना पेशा चुनने का अधिकार है। अगर कोई महिला देह व्यापार का पेशा चुनती है तो उसे गलत नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने कहा कि किसी भी वयस्क महिला को उसकी सहमति के बिना लंबे समय तक सुधारगृह में नहीं रखा जा सकता। इसके साथ ही उन्होंने देह व्यापार के आरोप में पकड़े जाने के बाद संरक्षण गृह में बंद महिलाओं को छोड़ने के आदेश दिये।
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इममॉरल ट्रैफिकिंग कानून का मकसद देह व्यापार को खत्म करना नहीं है। इस कानून के अंतर्गत ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है जो वेश्यावृत्ति को अपराध मानता हो या फिर देह व्यापार से जुडे़ व्यक्ति को दंडित करने की बात करता हो। इस कानून के तहत सिर्फ व्यवसायिक उद्देश्य के लिए यौन शोषण करने व सार्वजनिक जगह पर अशोभनीय हरकत को दंडित माना गया है।