वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। अरपा नदी की बदहाली पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. नदी में बढ़ते प्रदूषण और अवैध उत्खनन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को कड़ी हिदायत दी है. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अवैध उत्खनन करने वालों पर ‘मीसा’ के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को 15 दिन में शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को होगी.

अरपा नदी में प्रदूषण को रोकने, संरक्षण और संवर्धन को लेकर लगी याचिकाओं पर बुधवार को एक साथ सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविंद्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नदी में अवैध उत्खनन को लेकर नाराजगी जताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ये तक कहा कि इन लोगों के ऊपर मीसा की कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा, अरपा में घास उग आई है, लोगों को पानी नहीं मिल रहा. वहीं अवैध उत्खनन से नदी खोखली हो गई है. बैरल लैंड है, पानी तो है नहीं, बाढ़ में पानी आता है. उन्होंने कहा समस्या यह है कि आप कोई भी कानून बनाइये, वे अपनी ताकत दिखाने के लिए उसे तोड़ देंगे और आप दर्शक बने रहेंगे.

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और नगर निगम की तरफ से अधिवक्ता आर एस मरहास ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा 12 फरवरी 2025 को आयुक्त की तरफ से शपथपत्र दाखिल दिया गया है, जिसमें बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड केवल 60% सीवरेज जल का उपचार करने की स्थिति में होगा. शेष 40% के लिए, सलाहकार अर्थात ब्लू स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड पुणे से परियोजना रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई है. जो डीपीआर के सत्यापन के लिए मुख्य अभियंता पीएचई विभाग से तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई थी. जो अप्रूव्ड नहीं की गई है. वहीं कंपनी से रिवाइज प्लान 10 फरवरी 2025 को मिल गया है. जिसकी जांच करने 15 दिन का समय लगेगा. रिवाइज्ड प्लान सही होने पर प्रशासनिक मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. हाईकोर्ट ने 15 दिन का समय देते हुए बिलासपुर नगर निगम आयुक्त से शपथ पत्र में जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को रखी गई है.