प्रयागराज: बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी अपराध पीड़ित व्यक्ति को इस आधार पर शस्त्र लाइसेंस देने से इंकार नहीं किया जा सकता कि उसके साथ हुई आपराधिक घटना आकस्मिक थी। कोर्ट ने याची के शस्त्र लाइसेंस की मांग करने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए गाज़ीपुर डीएम के आदेश को रद्द कर दिया और नए सिरे से याची के अभ्यावेदन पर विचार करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने गाजीपुर के याची आलोक कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
जानकारी के मुताबिक, मामले में याची कारोबारी है और कारोबार के सिलसिले में अक्सर कई जिलों में आना-जाना होता है। 27 सितंबर 2014 को याची से मोटरसाइकिल सवार ने मारपीट करते हुए एक लाख रुपये लूट लिए। याची ने इस बात की प्राथमिकी गाजीपुर के कोतवाली थाने में दर्ज कराई थी। अपने खिलाफ हुई घटना को लेकर याची ने शस्त्र लाइसेंस की मांग की। पुलिस ने घटना को देखते हुए याची को शस्त्र लाइसेंस निर्गत करने की संस्तुति कर दी और फाइल को डीएम के पास भेज दिया, लेकिन डीएम ने यह कहते हुए शस्त्र लाइसेंस देने से मना कर दिया कि याची के साथ घटना आकस्मिक हुई है।
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हाईकोर्ट ने कहा कि इस आधार पर याची को शस्त्र लाइसेंस निर्गत नहीं किया जा सकता है। याची ने डीएम के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी और मांग की उसे शस्त्र लाइसेंस निर्गत किया जाए। याची के अधिवक्ता पंकज त्यागी, आकाश त्यागी ने तर्क दिया कि याची ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय करता है और धन के साथ बैंकों में आना जाना होता है। इस वजह से जान और माल का खतरा बना रहता है। कोर्ट ने याची के तर्कों को स्वीकार करते हुए डीएम गाजीपुर को याची के प्रत्यावेदन पर नए सिरे से विचार करने का आदेश पारित किया।