बिलासपुर। देश में बढ़ती असहिष्णुता को लेकर बयान दिए जाने पर फिल्म अभिनेता आमिर खान के खिलाफ दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी के दिए गए बयान से देश की अखंडता व सुरक्षा को खतरा है या नहीं यह केंद्र व राज्य शासन की जांच का विषय है, और उनका क्षेत्राधिकार है. किसी निजी व्यक्ति को इसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती।

रायपुर के हनुमान नगर निवासी दीपक दीवान ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था. इसमें अभिनेता आमिर खान द्वारा 2015 में दिए गए बयान को मुद्दा बनाया गया था. इसमें उन्होंने कहा था कि उनके बयान से देश की अखंडता व सुरक्षा को खतरा है. यह धारा 153ए व 153 बी का उल्लंघन है. मजिस्ट्रेट ने उक्त धाराओं के तहत संज्ञान लेने के लिए केंद्र व राज्य शासन से अनुमति लेना आवश्यक माना था. साथ ही बिना अनुमति के सीधे परिवाद पेश करने के कारण मामले को खारिज कर दिया था. अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश ने भी इस मामले की अपील को खारिज कर दिया था.

फिर याचिकाकर्ता ने वकील अमियकांत तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. मामले में आमिर खान की तरफ से भी वकील डीके ग्वालरे ने पक्ष रखा था. जस्टिस संजय के अग्रवाल ने सुनवाई करते हुए कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 153ए व 153 बी के तहत अपराध संज्ञान की धारा 196 (1)ए व 196(1ए) (ए)के तहत सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना संज्ञान में नहीं लिया जा सकता है. लिहाजा कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है.