वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा एनटीपीसी सीपत के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज किया है। कोर्ट ने याचिका को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए 50 हजार रुपये जुर्माना याचिकाकर्ता पर लगाया और सुरक्षा निधि भी जब्त की है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डबल बेंच में हुई।

संघ ने अपने अध्यक्ष शत्रुघ्न कुमार लास्कर के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर एनटीपीसी सीपत से निकलने वाले फ्लाई ऐश से भरे ट्रकों की ओवरलोडिंग पर रोक लगाने तथा प्रदूषण रोकने के लिए सभी ट्रकों को तिरपाल से ढंककर भेजने के निर्देश देने की मांग की थी। उसने सीपत-बिलासपुर-बलौदा मार्ग पर मोटरयान अधिनियम के प्रावधानों के कड़ाई से पालन की भी गुहार लगाई थी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याचिका सद्भावना से प्रेरित नहीं है, इसमें व्यक्तिगत स्वार्थ है। याचिकाकर्ता स्वयं ट्रांसपोर्टर है और एनटीपीसी के परिवहन ठेकों में उसकी प्रत्यक्ष व्यावसायिक रुचि है। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को पत्र लिखकर स्थानीय परिवहनकर्ताओं को प्राथमिकता और भाड़ा दर तय करने की मांग भी की थी, जिससे उसका निजी स्वार्थ स्पष्ट होता है।

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि इसी मुद्दे पर पहले से ही जनहित याचिका लंबित है। कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले रखा है। इसके बावजूद, याचिकाकर्ता ने समानांतर याचिका दायर की। कोर्ट ने इसे जनहित नहीं बल्कि व्यक्तिगत व्यापारिक प्रतिस्पर्धा बताया। कोर्ट ने यह भी पाया कि जुलाई 2025 में याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें उस पर एनटीपीसी से जुड़े गिट्टी परिवहन कार्य में लगे वाहनों को रोकने, चालकों को धमकाने और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप लगाए गए थे। इस तथ्य को याचिका में छुपाना, अदालत के अनुसार, उसकी विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।

जनहित याचिका गरीब और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा का औजार है, न कि निजी बदले या व्यापारिक प्रतिद्वंद्विता का हथियार। ऐसी निरर्थक जनहित याचिका कोर्ट के बहुमूल्य समय की बर्बादी करती हैं और इस असाधारण अधिकार क्षेत्र की पवित्रता को आघात पहुंचाती हैं। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया।याचिकाकर्ता द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि भी जब्त कर ली गई।