प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके असली नाम से फिर से सीएम पद की शपथ लेने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता के अनुसार, सीएम द्वारा ‘आदित्यनाथ’, ‘योगी आदित्यनाथ’ आदि नामों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. याचिकाकर्ता की दलील थी कि डिजिटल समेत विभिन्न मंचों पर योगी आदित्यनाथ के विभिन्न नामों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है. इसलिए राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह डिजिटल के साथ-साथ गैर-डिजिटल मंचों पर मुख्यमंत्री का एक ही नाम इस्तेमाल करे.

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राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि याचिका विचार करने लायक नहीं है क्योंकि याचिका में मुख्यमंत्री को उनकी व्यक्तिगत क्षमता में पक्षकार बनाया गया है और किसी व्यक्ति के खिलाफ ऐसी जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती है. इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने एचसी के नियमों के अनुसार अपने बारे में खुलासा नहीं किया है. एएजी ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने ये याचिका केवल प्रचार हासिल करने के लिए दायर की है.