बिलासपुर- सीनियर आईएएस अधिकारी डाॅ.आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति के मामले में लगी याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कार्यकारी चीफ जस्टिस प्रशांत मिश्रा और रजनी दुबे की बेंच ने अंतिम सुनवाई की तारीख मुकर्रर कर दी है. इस मामले की अंतिम सुनवाई 29 जुलाई को होगी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि संविदा नियुक्ति से जुड़े रिकॉर्ड पेश किया जाए. बता दें कि बीजेपी नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने रिटायरमेंट के बाद दी गई संविदा नियुक्ति को चुनौती देते हुए इसे नियम विरूद्ध बताया था.
याचिका पक्ष के वकील विवेक शर्मा ने लल्लूराम डाॅट काम से बातचीत में कहा कि, कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के लिए 29 तारीख का वक्त दिया है. तब तक संविदा से जुड़े रिकार्ड्स मांगे गए हैं. इससे पहले याचिका पक्ष में कोर्ट के सामने दलील रखी थी कि संविदा भर्ती नियम के रूल 4 (1) के तहत संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए जाने का प्रावधान है, जबकि डाॅ.आलोक शुक्ला की संविदा नियुक्ति के पहले किसी तरह का विज्ञापन जारी नहीं किया गया. रूल 9 के तहत इंटिग्रिटी डाउटफुल होने तथा क्रिमिनल केस पेंडिंग होने पर संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती. डाॅ. शुक्ला नान घोटाला मामले में अभियुक्त हैं और उनका नाम चार्जशीट में है. ईडी की जांच जारी है. प्रावधानों के तहत डाॅ.आलोक शुक्ला को संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती.
इससे पहले सरकार की ओर से पक्ष रखा गया था, जिसमें यह कहा गया था कि संविदा भर्ती नियम के रूल 17 में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए डाॅ.शुक्ला को नियुक्ति दी गई है. जबकि रूल में सरकार की ओर से दिए जाने वाला रिलैक्सेशन पब्लिक परपज से जुड़े मसलों पर ही दिया जा सकता है. क्वालिफिकेशन में रिलैक्सेशन सरकार दे सकती है, लेकिन सर्विस के लिए इंटीग्रिटी की जरूरी है. चूंकि शुक्ला के खिलाफ प्रकरण चल रहा है, लिहाजा उनकी संविदा नियुक्ति में उन्हें किसी तरह का रिलेक्सेशन नहीं दिया जा सकता.
बता दें कि शुक्ला 30 मई को ही रिटायर हुए थे.राज्य शासन ने रिटायरमेंट के अगले दिन ही उन्हें प्रमुख सचिव के रूप में संविदा नियुक्ति दी थी. बीजेपी नेता नरेशचंद्र गुप्ता की ओर से वकील अनिल खरे, विवेक शर्मा और गैरी मुखोपाध्याय ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया था. इस याचिका में संविदा नियुक्ति पर डाॅक्टर शुक्ला को लिए जाने की राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया है. याचिका में कहा गया है कि बहुचर्चित नान घोटाले में शुक्ला का नाम शामिल हैं, ऐसे में उनकी पुनःनियुक्ति असंवैधानिक है. संविदा भर्ती नियम 2013 के मुताबिक रिटायर अधिकारी के विरूद्ध यदि कोई विभागीय या अन्य तरह की जांच लंबित है, तो उस अधिकारी को पोस्ट रिटायरमेंट संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती. आलोक शुक्ला नान घोटाले में चार्टशीटेड हैं. उनके खिलाफ जांच जारी है. तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उनके खिलाफ निलंबन की सिफारिश की थी.