प्रयागराज. उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी 72 घंटे के कामबंद हड़ताल पर हैं. बिजलीकर्मियों की 72 घंटे की हड़ताल गुरुवार रात 10 बजे से शुरू हो गई है. इस हड़ताल के समर्थन में देशभर के 27 लाख बिजलीकर्मी सड़कों पर उतर आए हैं. इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को संज्ञान में लेते हुए तत्काल बिजली बहाल करने का निर्देश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर कडा रुख अख्तियार करते हुए कर्मचारी नेताओं को जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट ने प्रदेश भर में जहां भी बिजली गड़बड़ है, वहां तत्काल व्यवस्था बहाल करने का निर्देश दिया है. दरअसल, मामले को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने सोमवार को हड़ताली कर्मचारी नेताओं और विभाग के अधिकारियों की अदालत मे तलब किया है.

हाईकोर्ट के अधिवक्ता विभू राय ने नयायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ के समक्ष शुक्रवार सुबह बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि गत वर्ष हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए हड़ताल समाप्त करने का आदेश दिया था. इसके बाद जो हड़ताल की गई है वह कोर्ट के आदेश की स्पस्ट अवमानना है. इस पर कोर्ट ने सभी हड़ताली कर्मचारियों को जमानती वारंट जारी करते हुए सोमवार को सुबह दस बजे अदालत मे तलब किया है.

गौरतलब है कि यूपी में बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया है. गुरुवार रात से पूरे राज्य में कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मचारियों ने कहा है कि अगर हमारे किसी कर्मचारी पर एक्शन लिया गया तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे. वहीं, मंत्री एकेशर्मा ने स्पष्ट कहा है कि अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल विद्युत व्यवस्था में किसी भी प्रकार का व्यवधान डालने पर एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में रुकावट पैदा करने वाले और लोगों की उपलब्ध सुविधाओं में अड़चनें पैदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.

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