कोरबा। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष को हटाए जाने का राज्य सरकार का आदेश निरस्त कर दिया. अध्यक्ष मधु पांडेय को कार्यकाल खत्म होने से महज दो महीने पहले भाजपा के पक्ष में प्रचार करने के आधार पर पद से हटा दिया गया था.

मधु पांडे को आदेश 11 अप्रैल 2017 को 3 वर्ष की अवधि के लिए बाल कल्याण समिति कोरबा के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया था. इसी दौरान उनके द्वारा 11 और 12 नवंबर 2018 को भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने का आरोप लगाया गया था. जिसपर संज्ञान लेते हुए शासन ने शो कॉज नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने को कहा था. इसके जवाब में मधु पांडे ने आरोपों से इनकार किया था. लेकिन उनके कार्यकाल के 2 माह शेष रहते हुए 19 जनवरी 2021 को उन्हें पद से हटाने का आदेश दे दिया.

मधु पांडे ने उक्त आदेश को अवैधानिक व विधि विरुद्ध मानते हुए हाईकोर्ट में अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से रिट याचिका प्रस्तुत कर चुनौती दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रोहित शर्मा ने हाईकोर्ट में यह पक्ष रखा कि किसी भी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष को केवल किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत ही हटाया जा सकता है. वह उक्त अधिनियम की धारा 27 (7) मे दिए गए आधारों पर ही हटाने की कार्यवाही की जा सकती है. किसी बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर किसी के पक्ष में प्रचार कर किस तरीके से लाभ पहुंचाया गया है, ऐसा कोई भी तथ्य शो कॉज नोटिस में उल्लेखित नहीं है.

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की एकल पीठ में उक्त याचिका में सुनवाई करते हुए निर्धारित किया कि किसी के पक्ष में प्रचार करने केवल मात्र से कोई भी अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि ऐसा कोई भी प्रावधान 2015 के अधिनियम में उल्लेखित नहीं है. इस आशय के साथ बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष को हटाना के आदेश को न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया.