चेन्नै. चेन्नै हाईकोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में एक कैदी को परिवार बढ़ाने के लिए दो सप्ताह की छुट्टी दी है. ये कैदी तिरुनवेली के केंद्रीय कारागार में उम्रकैद की सजा काट रहा है.

अपनी तरह के पहले और अनूठे फैसले में चेन्नै हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र पहले ही ऐसे प्रस्ताव को मंजूरी दे चुका है कि अपने पति या पत्नी से संबंध स्थापित करना एक अधिकार है और कैदियों को अपनी इच्छा को पूरा करने का अधिकार है. कई देशों में कैदियों को अपने पति या पत्नी के साथ संबंध बनाने की इजाजत दी गई है. लैटिन अमेरिकी देशों में तो बकायदा विवाहित कैदियों को अपने स्वजन के साथ वक्त बिताने के लिए कमरे मुहैय्या कराए जाते हैं.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संबंध स्थापना से स्वजन के साथ करीबी रिश्ते बनाए रखने में मदद मिलती है साथ ही अपराध की तरफ रुझान कम होता है और सकारात्मक परिवर्तन आते हैं. न्याय व्यवस्था में कैदियों के सुधार पर बड़ा जोर दिया गया है. जिसके चलते इस कैदी को परिवार बढ़ाने के लिए छुट्टी दी जा रही है. कोर्ट ने कहा कि वह दो सप्ताह की स्वीकृत छुट्टी को और भी बढ़ा सकता है.

दरअसल चेन्नै हाईकोर्ट की जस्टिस एस विमला देवी औऱ जस्टिस टी कृष्णवल्ली की पीठ ने उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी सिद्दीक अली को ये छुट्टी उसकी पत्नी की याचिका पर दिया है. गौरतलब है कि सिद्दीक की पत्नी ने हाइकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की थी.