कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश का ग्वालियर चम्बल अंचल मिलावटखोरी के लिए बदनाम हो चुका है। मिलावट के इस काले खेल को खत्म करने अब हाईकोर्ट भी सख्त रुख अपना रहा है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने दूध और इससे बने उत्पादों में मिलावट रोकने संबंधी अवमानना याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई करते हुए कोर्ट ने MP मुख्य सचिव कार्यालय के सीनियर अधिकारी और खाद्य सुरक्षा विभाग के कमिश्नर का शपथ पत्र तलब किया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ग्वालियर इंदौर और जबलपुर में स्थापित होने वाली खाद्य लेबोरेटरी के बारे में भी जानकारी तलब की है। कोर्ट ने जबाब में यह जानकारी भी मांगी है कि यह लैबोरेट्री कब तक शुरू होंगी ?

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ग्वालियर हाईकोर्ट ने यह भी पूछा कि जिला स्तर पर खाद्य और दूध पदार्थों में होने वाली मिलावट को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन किस तरह से कार्रवाई कर रहा है। हाईकोर्ट ग्वालियर अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि हाईकोर्ट के ग्वालियर जूरिडिक्शन ने सभी 9 जिलों के कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी है। खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने जिला प्रशासन ने अब तक कौन-कौन से कदम उठाए हैं। इसके बारे में भी रिपोर्ट कोर्ट द्वारा मांगी गई है। अब इस मामले पर सुनवाई 24 जनवरी को होगी। 

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गौरतलब है कि दिवंगत अधिवक्ता उमेश बोहरे ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि भिंड और मुरैना में मिलावटी दूध और मावे का बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है।वहीं इन दूध से बने उत्पादों को देश प्रदेश के दूर दराज हिस्सों में भी भेजा जाता है जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस पर हाईकोर्ट ने मिलावट रोकने सरकार को निर्देश दिए थे। लेकिन जब निर्देशों का पालन नहीं हुआ तब स्वर्गीय उमेश बोहरे ने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी। 

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अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान बोहरे का देहांत हो गया। इसके बाद कोर्ट ने इस महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई जारी रखी। पूर्व में हाई कोर्ट के ग्वालियर जूरिडिक्शन के तहत आने वाले सभी 9 जिलों के कलेक्टरों के शपथपत्र एवं खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को इस मामले में तलब किया जा चुका है और उनके द्वारा की गई कार्रवाई पर कोर्ट ने नाराजगी भी जताई थी। कोर्ट द्वारा याचिका में सुनवाई करते हुए अब मुख्य सचिव कार्यालय से वरिष्ठ अधिकारी एवं खाद्य सुरक्षा आयुक्त का शपथ पत्र तलब किया है।

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