बिलासपुर। बिलासपुर उच्च न्यायालय ने एक मामले में सुनवाई करते हुए डीजीपी एवं गृह सचिव को अवमानना का नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही न्यायायल ने दोनों अधिकारियों को तत्काल उक्त मामले में शपथपत्र के साथ अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.

ये है मामला

बिलासपुर जिले के मुंगेली में रहने वाली मनोरमा तिवारी वर्ष 2008 में पुलिस विभाग में जिला-बस्तर में पदस्थ थी. उक्त पदस्थापना के दौरान एक मामले में उनके एवं डीएसपी बी.एन. शर्मा के विरुद्ध शिकायत प्राप्त होने पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा आरोप पत्र जारी कर डीएसपी बी.एन. शर्मा एवं एएसआई मनोरमा तिवारी के विरुद्ध संयुक्त विभागीय जांच कार्यवाही प्रारंभ की गयी थी. 

उक्त विभागीय जांच प्रक्रिया में समस्त अभियोजन साक्षियों का बयान पूर्ण होने एवं अंतिम जांच रिपोर्ट डीजीपी के समक्ष प्रस्तुत किये जाने के पश्चात एवं चार वर्ष की समयावधि बीत जाने के पश्चात भी उनके द्वारा अंतिम आदेश पारित ना किये जाने से क्षुब्ध होकर मनोरमा तिवारी द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई.

उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त मामले को स्वीकार कर गृह सचिव अरूणदेव गौतम एवं डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी को यह निर्देशित किया गया कि वे 60 (साठ) दिवस के भीतर उक्त मामले में अंतिम आदेश पारित कर विभागीय जांच का अंतिम निराकरण करें.

परन्तु 60 दिवस के पश्चात् भी विभागीय जांच में अंतिम आदेश पारित ना किये जाने से क्षुब्ध होकर एएसआई मनोरमा तिवारी द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गयी.

उच्च न्यायालय, बिलासपुर द्वारा उक्त अवमानना याचिका की सुनवाई के पश्चात् याचिका को स्वीकार कर गृह सचिव अरूणदेव गौतम एवं डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी को यह निर्देशित किया गया कि वे तत्काल उक्त मामले में शपथपत्र के साथ जवाब प्रस्तुत करें.