कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता के साथ हुई मारपीट के विरोध में आज हाई कोर्ट और जिला कोर्ट के वकीलों ने काम बंद हड़ताल कर दी है। वकीलों की हड़ताल अधिवक्ताओं के साथ लगातार हो रही मारपीट और लचर कानून व्यवस्था के खिलाफ है।
दरअसल रविवार की रात गौर स्थित एक होटल में डीजे बजाने को लेकर विवाद हो गया था जिसके बाद आरोपियों ने अधिवक्ता अक्षित सहगल पर जानलेवा हमला दिया था। इस मामले में सोमवार दोपहर तीनों बार एसोसिएशनों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक में कहा गया कि वकीलों पर हमले की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। कानून व्यवस्था खराब हो रही है। लिहाजा अधिवक्ताओं ने डेढ़ दिन की हड़ताल की।
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग
आपको बता दें कि लंबे समय से अधिवक्ता एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक वकीलों की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई। मध्य प्रदेश एडवोकेट अध्यक्ष संघ में अध्यक्ष रमन पटेल का कहना है कि, कमलनाथ सरकार ने भी एडवोकेट प्रोटेक्शन लागू करने की बात कही थी और शिवराज सरकार ने भी लेकिन दोनों ही सरकारों ने अपने वादों को पूरा नहीं किया जिसका नतीजा है कि आज एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लंबे समय से अटका हुआ है।
क्या कहता है एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट
इसमें वकीलों के हितों की सुरक्षा के लिए कई प्रावधान का प्रस्ताव है। इसमें 16 धाराएं रखी गई हैं। प्रस्तावित बिल में वकील तथा उनके परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की क्षति व चोट पहुंचाने की धमकी देना, किसी भी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव देना, दबाव पुलिस अथवा किसी अन्य पदाधिकारी से दिलवाना, वकीलों को किसी केस में पैरवी करने से रोकना, वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। ये सभी अपराध गैर जमानती अपराध होंगे। ऐसे अपराध के लिए 6 माह से 2 वर्ष की सजा के साथ-साथ दस लाख रुपये जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। इन अपराधों के लिए पुलिस को 30 दिनों के भीतर अनुसंधान पूरा करना होगा, जिसकी सुनवाई जिला व सत्र न्यायाधीश/अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश करेंगे लेकिन अगर कोई वकील अभियुक्त हो तो यह कानून उसपर लागू नहीं होगा।