नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को बिना किसी पूर्व सूचना के कालकाजी में लोटस टेम्पल रोड पर झुग्गियों को हटाने और झुग्गीवासियों के पुनर्वास की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है. इस मामले में डीडीए से जवाब मांगते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 22 मार्च की तारीख तय की. याचिकाकर्ता संतोष गिरी और क्षेत्र के झुग्गी समूहों के अन्य निवासियों के लिए अधिवक्ताओं काओलियांगपो कामेई और हेलेन टुंगो के माध्यम से याचिका दायर की गई थी. यह तर्क दिया जाता है कि 15 दिसंबर 2021 को डीडीए द्वारा झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया था.

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याचिकाकर्ताओं ने कहा कि चल रही महामारी के दौरान झुग्गियों को हटा दिया गया था, जिससे निवासियों को मजबूर होना पड़ा. ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक और घरेलू कामगार बिना किसी आश्रय के सड़क के किनारे रह रहे थे. उन्होंने पीने के पानी, स्वच्छता और स्वच्छ परिवेश सहित सुविधाओं के साथ अस्थायी आश्रय की मांग की है. निवासियों ने दावा किया कि उनके पास दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड नीति 2015 के अनुसार जनवरी 2015 से पहले निवास का प्रमाण है. उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय से प्रभावित निवासियों का सर्वेक्षण करने और दिल्ली जेजे स्लम पुनर्वास और पुनर्वास नीति, 2015 के अनुसार उनका पुनर्वास करने के लिए डीयूएसआईबी को निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया. लोटस टेम्पल रोड झुग्गी क्लस्टर कम से कम 1990 से अस्तित्व में है और इसमें 23 से अधिक घर शामिल हैं.