कुमार इंदर, जबलपुर। प्रदेश में डेंगू को लेकर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि, प्रदेश में डेंगू से मौत पर मुआवजा देने पर राज्य सरकार ने क्या सोचा है। एमपी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि, डेंगू से होने वाली मौत पर सरकार किस तरह मुआवजा देने की सोच रही है। दरअसल चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विजय शुक्ला की डबल बेंच में एक याचिका लगी थी जिसमे डेंगू से मौत मामले में कोविड की तर्ज पर मुआवजा देने की मांग की गई है।
नागरिक उपभोक्ता मंच ने लगाई थी याचिका
आपको बता दे कि, 13 सितंबर को नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने संयुक्त रूप से एक याचिका लगाई थी। जिसमे कोरोना की तर्ज पर ही डेंगू से मौत होने पर उनके परिजनो को मुआवजा देने की मांग की गई है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार से पूछा है कि, प्रदेश में डेंगू से होने वाली मौत को लेकर किस तरह का मुआवजा देने की योजना बनाई गई है। लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब ना देने पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है और कहा है कि, सरकार चार सप्ताह में शपथ पत्र पेश कर जवाब प्रस्तुत करें। इसी के साथ डेंगू को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास की भी जानकारी मांगी है।
अव्यवस्था के लिए जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की मांग
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने तर्क रखते हुए कहा कि, डेंगू से होने वाली मौत के लिए कोविड की तरह मुआवजा दिया जाना चाहिए। डेंगू की बीमारी साफ-सफाई में लापरवाही की वजह से फैलती है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई और क्षतिपूर्ति वसूलने की मांग की गई है। आपको बता दे कि जबलपुर सहित ग्वालियर और दूसरे शहरों में डेंगू ने कई परिवारों के सदस्यों की जान ली है।