बिलासपुर। सेवाकाल के दौरान त्रुटिपूर्ण ढंग से वेतनवृद्धि की वजह से हुए अतिरिक्त वेतन भुगतान की वसूली सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर से करने पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही वसूली गई रकम छह प्रतिशत ब्याज के साथ वापस लौटाने का आदेश दिया है. इसे भी पढ़ें : दिनदहाड़े युवती की हत्या: रंजना के हत्यारे को फांसी की सजा देने की मांग, परिजन समेत लोगों ने निकाला जुलूस

11वीं बटालियन, जांजगीर-चाम्पा में सब इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ उसलापुर निवासी मरियानुस टोप्पो 30 अप्रैल 2018 को सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्ति के पश्चात् बटालियन की ओर से मरियानुस टोप्पो के विरूद्ध वसूली आदेश जारी किया गया था. इस पर मरियानुस टोप्पो ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय व दुर्गा मेहर के माध्यम से बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी.

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अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर ने हाई कोर्ट के समक्ष सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टेट ऑफ पंजाब विरूद्ध रफीक मसीह (2015), हाईकोर्ट ऑफ पंजाब एवं हरियाणा विरूद्ध जगदेव सिंह (2016), थॉमस डेनियल विरूद्ध स्टेट ऑफ केरला (2022) के वाद में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए बताया कि किसी भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी, सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) कर्मचारी को यदि सेवाकाल के दौरान त्रुटिपूर्ण ढंग से वेतन का भुगतान कर दिया गया है, तो उस कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के पश्चात् किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है.

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इसके साथ ही याचिकाकर्ता को कारण बताओ नोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया. बिलासपुर हाई कोर्ट ने उक्त रिट याचिका की सुनवाई के पश्चात् सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित न्यायदृष्टांतों के आधार पर याचिकाकर्ता के विरूद्ध जारी वसूली आदेश को निरस्त करते हुए छग सशस्त्र बल एवं सेनानी 11वीं बटालियन, जांजगीर-चाम्पा डीआईजीपी को निर्देशित किया गया कि वे याचिकाकर्ता से वसूल की गई राशि 6 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करें.