रायपुर। डीजे की कानफोड़ू आवाज शहर से लेकर गांव की गलियों तक सुनाई पड़ता है, चाहे मौका शादी-ब्याह का हो, या फिर धार्मिक आयोजन. कोई बंदिश लगाने वाला नहीं. हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी, नतीजतन बीते दिनों डीजे की आवाज से दो बुजुर्गों की मौत हो गई.
ऐसा नहीं है कि डीजे की आवाज के खिलाफ किसी न आवाज नहीं उठाई हो. याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ आज-कल नहीं दिसंबर 2016 को हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से उल्लेख किया था कि ध्वनि प्रदूषण से संबंधित कानून का छत्तीसगढ़ में कोई मतलब नहीं रह गया है, और कोई भी कानून का पालन करने के लिये तत्पर नहीं है, यहां तक कि कानून का पालन करवाने वाली एजेंसियां तथा अधिकारी ध्वनि प्रदूषण को लेकर बहरे हो गये हैं. दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं होने से ध्वनि प्रदूषण करने को बढ़ावा मिल रहा है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि गाड़ियों में साउण्ड बाक्स लगाकर डीजे बजाना मोटर व्हीकल नियमों का उल्लंघन होता है इसलिए कलेक्टर और एसपी सुनिश्चित करें कि कोई भी वाहन पर साउण्ड बाक्स न बजे. लेकिन कोई वाहन मालिक नहीं मानता और साउंड बाक्स रखकर बजाता है, तो वाहन मालिक को नोटिस देकर ऐसे वाहनों को रिकार्ड रखा जाए. दूसरी बार गलती करते पाए जाने पर वाहन का परमिट निरस्त किया जाए और बिना हाईकोर्ट के आदेश के उस वाहन को नया परमिट जारी नहीं किया जाए.
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कानून का उल्लंघन पाये जाने पर संबंधित अधिकारी पर न्यायालय के आदेश की अवमानना कार्यवाही होगी.वहीं स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, ऑफिस से 100 मीटर एरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर जब्त करें, द्वितीय बार पकड़ाने पर हाईकोर्ट के आदेश के बिना जब्ती वापस नहीं किया जाएगा.
शादियों, जन्मदिनों, धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रमों में तेजी से ध्वनि यंत्र बजाने वालों पर भी उच्च न्यायालय अवमानना की कार्रवाई पर करते हुए वाहन जब्त किया जाएगा. उच्च न्यायालय ने कहा कि जब भी उपरोक्त कार्यक्रमों में निर्धारित मापदन्डों से अधिक ध्वनि विस्तार होने पर अधिकारी जावे तो वे लोगों की भावना की कद्र करने हुये नम्रता पूर्वक उन्हें न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहें, अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कोर्ट में कार्यवाही की जावे तथा इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारी आयोजक के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायलय के दायर में करें.
उच्च न्यायालय ने इसके अलावा प्रेशर हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न प्रतिबंधित करने के साथ दोबारा गलती करने पर वाहन जब्त करने के साथ उसकी अनुमति के बाद ही वापस करने का आदेश जारी किया था. न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट या फिर व्यावसायिक वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट प्रदान करते समय संबंधित अधिकारी सुनिश्चित करे कि उसमें तेजी से बजने वाले हार्न नहीं लगे हों.
इसके अलावा अन्य अवसरों पर अगर प्रेशन हार्न अथवा मल्टी टोन्ड हार्न पाया जाता है तो संबंधित अधिकारी तत्काल ही उसे वाहन से निकालकर नष्ट करने के साथ रजिस्टर में दर्ज करेगा. लोक प्राधिकारी इस संबंध में वाहन नंबर के साथ मालिक तथा चालक का डाटा बेस इस रूप् में रखेगा कि दोबारा अपराध करने पर वाहन जब्त किया जाए और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ही ऐसे वाहनों को छोड़ा जाए.