देहरादून. हाईकोर्ट ने सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को अश्लीलता फैला रही पोर्न साइट्स को बंद करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने केंद्र की 2015 की अधिसूचना का पालन करते हुए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में किसी भी रूप में प्रचारित होने वाली अश्लील सामग्री, पोर्न के प्रसार को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि इस संबंध में जारी अधिसूचना का मोबाइल कंपनियों ने अनुपालन किया या नहीं. कोर्ट ने केंद्र सरकार को 11 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिया और कहा कि आईएसपी लाइसेंस धारक अगर आदेश का पालन नहीं करते हैं तो केंद्र सरकार उनके लाइसेंस निरस्त करे.

कोर्ट के सामने यह तथ्य भी आया कि देहरादून के भाऊवाला में किशोर के साथ सामूहिक दुष्कर्म को मामले में आरोपियों ने पोर्न देखना स्वीकार किया है. केंद्र सरकार ने 2015 में अधिसूचना जारी कर कंपनियों से आईटी एक्ट के तहत इन साइट्स को बंद करने को कहा था. कंपनियों ने इन साइट्स को ब्लॉक नहीं किया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए सभी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर लाइसेंस धारकों को 31 जुलाई 2015 की केंद्र की अधिसूचना का पालन करने और पोर्न साइट्स ब्लॉक करने का आदेश जारी किया.

कोर्ट ने कहा कि 2015 की अधिसूचना पर्याप्त न हो तो आईटी एक्ट 2000 का सहारा लिया जाए. कोर्ट ने कहा कि यदि इंटरनेट सर्विस लाइसेंस होल्डर 31 जुलाई 2015 की अधिसूचना का पालन नहीं करते हैं तो केंद्र सरकार उनका लाइसेंस निरस्त करे.