रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान के नाम पर हुए लगभग 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि यह घोटाला इतना गंभीर और संगठित है कि इसे स्थानीय एजेंसियों या पुलिस से जांच कराना उचित नहीं होगा।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल शामिल थे, ने अपने आदेश में कहा कि प्रारंभिक जांच में आरोप सत्य प्रतीत होते हैं। राज्य के 6 आईएएस अधिकारियों विवेक ढांड (पूर्व मुख्य सचिव), आलोक शुक्ला, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती के अलावा सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा पर भी आरोप लगाए गए हैं। हाईकोर्ट ने सीबीआई को 15 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।
जानिए क्या है पूरा मामला
यह घोटाला एक जनहित याचिका (PIL) 2017 के माध्यम से सामने आया, जिसे रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने दायर किया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान नाम की संस्था केवल कागजों में ही मौजूद थी और इसके माध्यम से 2004 से 2018 तक राज्य को लगभग 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
याचिका में यह भी बताया गया कि खुद याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल में कर्मचारी बताया गया, लेकिन आरटीआई के माध्यम से जानकारी लेने पर पता चला कि रायपुर स्थित यह कथित अस्पताल एक एनजीओ द्वारा संचालित किया जा रहा था।
जांच में सामने आए घोटाले के तरीक़े
- स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) के बैंक खाते से Bank of India और SBI मोतीबाग शाखा – के माध्यम से फर्जी आधार कार्ड बनाकर करोड़ों रुपये निकाले गए।
- अस्पताल के लिए खरीदी गई मेडिकल मशीनरी और रखरखाव में करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
- तात्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने शपथ-पत्र में 150-200 करोड़ रुपये की अनियमितताओं का खुलासा किया।
हाईकोर्ट ने इसे संगठित और सुनियोजित अपराध करार दिया और कहा कि इसे केवल CBI जैसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा ही जांचा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पहले, घोटाले में नामजद आईएएस और राज्य सेवा अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर CBI जांच पर रोक लगाने की मांग कर चुके थे। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रकरण को हाईकोर्ट वापस भेज दिया, जहां अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CBI जांच का आदेश दे दिया है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सीबीआई इस मामले की विस्तृत जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी। माना जा रहा है कि इस घोटाले में फंसे कई वरिष्ठ अधिकारियों की साख और करियर पर बड़ा असर पड़ सकता है।
छत्तीसगढ़ की जनता और सरकार के लिए यह मामला अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे राज्य के वित्तीय संसाधनों और प्रशासनिक पारदर्शिता से जुड़ा है।
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