कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। पंचायत चुनाव को लेकर लगी याचिका पर हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया है। इस मामले में शीतकालीन अवकाश के बाद 3 जनवरी को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद पंचायत चुनाव को लेकर रास्ता क्लीयर हो गया है। अगली सुनवाई तिथि तक पंचायत चुनाव प्रथम एवं द्वितीय चरण के लिए नामांकन दाखिल, नाम वापसी और चुनाव चिन्ह का आवंटन हो चुका होगा। इससे ऐसा लगता है कि चुनाव शासन द्वारा निर्धारित तिथि पर ही होंगे। कोर्ट में मामला लंबित रहेगा।

बता दें कि याचिकाकर्ता को पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दोपहर बाद मध्यप्रदेश में आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई का नंबर आया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट ले जाने के लिए कहा है। इस मामले में आज गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने नए सिरे से याचिका दाखिल करने के साथ तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया है।

बता दें कि मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए शासन द्वारा अधिसूचना जारी हो चुकी है। चुनाव प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। बीते तीन दिनों से 13 दिसंबर से जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत सदस्य सहित पंच सरपंच चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण लोग चुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे। नामांकन फार्म जमा करने और बिक्री की प्रक्रिया बहुत धीमी चल रही है। कोर्ट के इस निर्णय के बाद नामांकन प्रक्रिया में तेजी आएगी।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी एसएलपी
आपको बता दें कि, निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने आनन फानन में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल की है। दो साल से टल रहे पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर हाइकोर्ट में लगी थी याचिका। कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर के अधिवक्ता वरुण सिंह ने पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव कराने को लेकर एमपी हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इसी याचिका पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार की ओर से जब जवाब नहीं मिला तो कोर्ट ने सख्ती बरती। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि, राज्य निर्वाचन आयोग इलेक्शन करवाने के लिए तैयार है। फिर भी राज्य सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। जिसके बाद कोर्ट ने सख्ती करते हुए सरकार से चुनाव का शेड्यूल पेश करने को कहा था, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद भी जब सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो याचिकाकर्ता ने यही याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी।