वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. बिलासपुर के सिविल लाइन सीएसपी संदीप पटेल को जमीन मामले में सुनवाई के दौरान पुलिसिया जांच को लेकर हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है. एफआईआर दर्ज न किए जाने से नाराज जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा, कि पुलिस जांच और एफआईआर में गड़बड़ी करती है. मामले में कुछ नेताओं का नाम सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने पूछा पुलिस पर कहीं कोई राजनैतिक प्रेशर तो नहीं था. हाईकोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने तल्ख टिप्पणी की, और कहा कि इस मामले में मैंने कार्रवाई करते हुए लिख दिया तो परेशानी में आ जाओगे.

दरअसल सिद्धांत नागवंशी आत्महत्या मामले को लेकर पुलिस शुरुआत से ही सुर्खियों में रही है, मामले में 23 महीने बाद नया मोड़ आया है. मृतक सिद्धांत नागवंशी के पिता वीरेन्द्र नागवंशी कुम्हारपारा निवासी अपने बेटे की मौत के रहस्यों को जानना चाहते हैं. मृतक के पिता वीरेंद्र नागवंशी को जब 22 महीने बाद भी पुलिस से अपने बेटे के मौत के कारणों का पता नही चल सका, तो उन्होंने हाईकोर्ट में शरण ली. हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता और तथ्यों को देखकर सुनवाई के दौरान पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. जिसके बाद सीएसपी ने कोर्ट से जुर्म दर्ज करने की बात कही.

बता दें कि सिद्धांत नागवंशी के गहरे संबंध विवादित जमीन संबंधित कार्य करने वाले शहर के नामचीन लोगों से थे, उनके बैंक खातों और जमीन संबंधित इकरारनामा की प्रतिलिपि के तार शहर के नामचीन लोगों से जुड़े हुए है. वीरेन्द्र नागवंशी के मुताबिक घटना के एक दिन पहले सिद्धांत नागवंशी अपने निवास से 10-10 लाख के दो चेक लेकर अपने साथी फैजान खान के साथ मीनाक्षी बंजारे से मिलने गए, मीनाक्षी बंजारे से जमीन संबंधित लेनदेन में गड़बड़ी के बाद लोगों के देनदारी की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करना बता रहे है. शहर के दीपेश चौकसे और कांग्रेस नेता अकबर खान संगीन आरोप लगा रहे है. इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा, कि मामले में पुलिस ही फैसला करने वाली बन रही है. यह काम कोर्ट का है, पुलिस का नहीं. जस्टिस श्री व्यास ने सीएसपी पटेल से कहा, कि इतना ही फैसला करने का शौक है, तो वर्दी उतारकर वकालत शुरू कर दीजिए और फैसला कीजिए.