बिलासपुर. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान माना है कि यदि प्रेम में असफल कोई प्रेमी आत्महत्या कर लेता है, तो उसके साथी को उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता. इसी के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता युवती और अन्य दो लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने वाली धाराओं के तहत लगे आरोपों को रद्द कर दिया है.
बता दें कि, अपने पूर्व प्रेमी को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी युवती के खिलाफ आरोप को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की एकल पीठ ने यह भी कहा, कि “यदि कोई प्रेमी, प्रेम में असफलता के कारण आत्महत्या करता है, यदि कोई छात्र, परीक्षा में अपने खराब प्रदर्शन के कारण आत्महत्या करता है, यदि कोई क्लाइंट अपना केस ख़ारिज हो जाने के कारण आत्महत्या करता है, तो क्रमशः महिला, परीक्षक, वकील को उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. किसी कमज़ोर या दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए ग़लत निर्णय के लिए किसी अन्य को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.”
दरअसल, राजनांदगांव जिले के एक प्रेमी-युगल के बीच पिछले 5-7 वर्षों से प्रेम संबंध थे. दोनों ने एक-दूसरे के साथ शादी करना चाह रहे थे. बाद में युवती (याचिकाकर्ता) ने उसे कथित तौर पर उसे धोखा दिया और उसका दूसरे युवक से प्रेम संबंध हो गया.
जानकारी के अनुसार, राजनंदगांव पुलिस को 28 जनवरी 2023 में अभिषेक नरेडी नाम के युवक का शव मिला. पुलिस को युवक के पास से एक सुसाइड नोट मिला, जिसके अनुसार युवती ने उससे प्रेम संबंध तोड़ लिया था और उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. क्योंकि याचिकाकर्ता युवती, उसके भाई और उसके नए प्रेमी ने उसे धमकी देना और परेशान करना शुरू कर दिया था. पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए आईपीसी की धारा 306 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली. ट्रायल कोर्ट ने प्रारंभिक साक्ष्य का आकलन करने के बाद याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप तय कर दिए. जिससे व्यथित होकर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की और अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को रद्द करने की मांग की थी.
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