विनोद दुबे, बिलासपुर। राज्य सरकार द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए गए 45 पुलिस अधिकारियों के मामले में हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति दिए गए 1 अधिकारी की याचिका की सुनवाई में सरकार के फैसले के खिलाफ स्टे दे दिया है. जिस अधिकारी को हाईकोर्ट से स्टे मिला है उनका नाम फिलीमन टोप्पो है. टोप्पो मुंगेली जिले के पथरिया थाना में टीआई के पद पर पदस्थ थे. स्थगन आदेश मिलने के बाद अब फैसला होने तक टोप्पो को उनके पद पर बहाली करनी होगी.

18 अगस्त 2017 को पीएचक्यू ने आदेश निकालकर 47 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी. जिनमें 15 टीआई, 18 एएसआई और 9 सब इंस्पेक्टर 5 आरक्षक  शामिल थे. सरकार द्वारा की गई कार्रवाई को इन अधिकारियों ने गलत बताया था और वर्ग विशेष को टारगेट करने का आरोप लगाया था. इस मामले में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. वहीं इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में भी की गई थी. जिस पर आयोग की टीम ने सरकार को नोटिस भेज कर जवाब तलब किया था.

फिलिमन टोप्पो के वकील अभिषेक पाण्डेय ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को सभी विभागों में कार्य कर रहे उन लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था जो कि अच्छा कार्य नहीं कर रहे हैं और जिनकी उम्र 50 वर्ष या जो 20 साल की सेवा पूरी कर लिए हैं.

इस मामले में फिलिमन टोप्पो ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में स्टे मिलने पर खुशी जताई उन्होंने कहा कि मुझे स्टे मिलना ही था, मुझे कोर्ट पर पूरा भरोसा है, हमें न्याय मिलने की पूरी उम्मीद थी. हमारा रिकार्ड सही था. पुलिस अधीक्षक ने ही गलत लिखा पढ़ी की गई जिसकी वजह से मुझ पर कार्रवाई की गई. उनके साथ मेरे संबंध अच्छे नहीं थे.

इस ग्राउंड पर मिला स्टे

वकील अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने कोर्ट के सामने फिलिमन टोप्पो के अच्छे रिकार्ड की दलीली रखी. फिलीमन टोप्पो पुलिस में एसआई के पद पर नियुक्त हुए थे, उनका रिकॉर्ड अच्छा था इस वजह से उन्हें प्रमोशन देकर टीआई बनाया गया था.

वकील अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने कोर्ट को 40 ऐसे पुलिस अधिकारियों की सूची सौंपी थी जिन पर ACB एन्टी करप्शन ब्यूरो की टीम ने कार्रवाई किया था और वे नौकरी कर रहे हैं या फिर नौकरी करके सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने उन अधिकारियों की भी सूची सौंपी थी जिन पर गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है और उनके ऊपर सरकार ने किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की.

उन्होने बताया कि कोर्ट के सामने उन्होंने दलील रखी कि इस मामले में कानूनन गलत कार्रवाई की गई थी. जिसके अनुसार इस मामले में सक्षम अधिकारी DGP के द्वारा कार्रवाई की जानी थी लेकिन सक्षम अधिकारी के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई. इसमें ADGP द्वारा कार्रवाई की गई जो कि गलत है. एडीजी को कार्रवाई करने का अधिकार ही नहीं था.

अभिषेक पाण्डेय के अनुसार इस मामले में अब जल्द ही सभी लोगों को स्टे मिल सकता है.

इन्हें दी गई थी अनिवार्य सेवानिवृत्ति

निरीक्षक-TI

1-जेवियर केरकेट्टा
2-रामकुमार जयसिंधु
3-फ़ैडरेक केरकेट्टा
4- श्रीमती सविता दास
5-फिल्मोन टोप्पो
6-जीतेश कुमार वानी
7-जयराम सिंह मंडावी
8-बहादूर प्रसाद बखला
9-छन्नूलाल उईके
10- श्रीमती वी. प्रभा राव
11-श्रीमती बेरना दित्य कुजूर
12-सजनु राम कोडोपी
13-विपिन किशोर कुजूर
14-मोतीलाल शर्मा
15-श्रीमती दया कुर्रे (GRP)

उप निरीक्षक- SI

1-ध्रुवदास वैषण्व
2-रामेश्वर प्रसाद रात्रे
3-खोरबाहरा राम साहू
4-दिलीप सिंह मंडावी
5-मयाराम मार्केण्डेय
6-ढाल सिंह हिरवानी
7-जगन सिंह कंवर
8-शिवकुमार साय
9- लियोस तिग्गा

अतेिरिक्त उप निरीक्षक- ASI

1-जागेश्वर सिंह नेताम
2-गिरधारी लाल बेहरा
3-पूरन सिंह परमार
4-गजानन साहू
5-वरूण कुमार साहू
6-नोबर्ट तिग्गा
7-सुशील कुमार बंछोर
8-ननकू सिंह
9-विजय गुप्ता
10-जयलाल अनार्य
11-राजेंद्र श्रीवास्तव
12-दुर्गादास धृतलहरे
13-श्रीराम धुर्वे
14-नवल किशोर दुबे
15-ध्रुव कुमार शर्मा
16-बून्दराम भारती
17-रतनलाल गेन्डरे
18-बैजनाथ भैना

प्रधान आरक्षक/आरक्षक(CID)

1-भागीरथी साहू ( प्रधान आरक्षक)
2-रविंद्र शर्मा ( प्रधान आरक्षक)
3-जगदीश पटेल ( प्रधान आरक्षक)
4-भगवान सिंह वर्मा ( आरक्षक)
5-सेवालाल बट्टी ( अारक्षक) M