कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हाईकोर्ट ने रेप विक्टिम की शिकायत को गंभीरता से न लेते हुए उसका मजाक बनाने, उसे जलील करने और fir दर्ज न किए जाने के ममाल में सुनवाई की। पुलिस अधीक्षक ग्वालियर को आदेश दिया है कि टीआई सहित डीएसपी के विरुद्ध कार्रवाई के लिए सीनियर पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की जाए। साथ ही मामले की विवेचना पुलिस थाना गिरवाई से हटाकर अन्य किसी पुलिस अधिकारी से कराई जाये। हाइकोर्ट ने पीड़िता के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के आदेश भी ग्वालियर SP को दिए हैं।

अपमानित कर मजाक उडाया और दुर्व्यवहार भी किया

दरअसल ग्वालियर के सिकंदर कंपू इलाके की रेप पीड़िता ने एडवोकेट अवधेश सिंह भदोरिया के जरिये हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाइकोर्ट को बताया कि बीती 26 अप्रैल 2025 को थाना प्रभारी गिरवाई सुरेंद्रनाथ यादव के पास अपने साथ हुई बलात्कार की घटना के संबंध में एफआईआर दर्ज कराने पहुंची थी। वहां मौजूद डीएसपी चंद्रभान सिंह और टीआई ने न केवल अपमानित और मजाक उडाया बल्कि उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया। FIR लिखने से भी इनकार कर दिया। वह परिजनों के साथ रात 2 बजे तक थाने में रुकी रही, इसके बाद भी FIR दर्ज नहीं की गई।

बॉलीवुड एक्टर कार्तिक आर्यन ने बहन की शादी में किया डांसः ग्वालियर में कड़ी सुरक्षा के बीच हुई कृतिका तिवारी

टीआई और डीएसपी का यह कृत्य अक्षम्य अपराध

उसकी शिकायत पर रिसीविंग देकर थाने से भगा दिया। रेप विक्टिम के परिजनों ने मोबाइल से तुरंत पुलिस अधीक्षक और आईजी को जानकारी दी। दूसरे दिन पुलिस अधीक्षक ग्वालियर, आईजी से मिली और घटना के साथ दोनों अधिकारियों के दुर्व्यवहार को बताया। पुलिस अधीक्षक और आईजी के हस्तक्षेप के बाद तीसरे दिन पुलिस थाना गिरबाई में उसके साथ हुई दुष्कर्म की FIR दर्ज की गई। एडवोकेट भदोरिया ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि टीआई और डीएसपी का यह कृत्य अक्षम्य अपराध है जो की BNS की धारा 199 के दंडनीय है।

बिल्डर से मांगा 50 लाख का टेरर टैक्सः नहीं देने पर कर झूठी शिकायत, ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने ललिता कुमारी वाले मामले में निर्धारित किया है कि यदि संज्ञेय अपराध में fir करने में पुलिस अधिकारी आनाकानी करते हैं तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। न्यायालय ने टिप्पणी की कि अधिकारियों द्वारा यदि अपने विधिक कर्तव्यों का पालन नहीं किया जाता तो उनके विरुद्ध कार्रवाई आवश्यक है, खासकर यौन अपराधों में। पीड़िता के साथ सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार नहीं किया गया तो यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। इस मामले में दोनों अधिकारियों द्वारा गलती की गई तो यह सुनिश्चित होना चाहिए कि उक्त अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई हो।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H