वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। रतनपुर-केंदा सड़क पर 17 मवेशियों की तेज रफ्तार हाइवा से कुचलकर हुई मौतों के मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि हाईकोर्ट इस मामले की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है, इसके बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं। पहले सुनवाई के दौरान नगर निगम से लेकर पंचायतों तक जवाबदेही तय की गई थी, लेकिन अब भी ऐसी घटनाएं होना दुखद है।


डिवीजन बेंच ने सख्त रवैय्या अपनाते हुए कहा कि अब जवाबदेही तय करते हुए संबंधित अधिकारियों की सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज करने को कहना पड़ेगा ।शासन की ओर से कहा गया पुलिस ने आरोपी चालक के साथ-साथ मवेशी मालिकों के खिलाफ भी एफआईआर की है।
बता दें, कि सड़कों पर मवेशियों की मौतों को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने एसओपी लागू करने की जानकारी दी थी। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कहा था कि यह एसओपी सिर्फ कागजों तक सीमित न रह जाए, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू किया जाए। आवारा पशु केवल ग्रामीणों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक सार्वजनिक सुरक्षा का मुद्दा है। इसके बाद भी लेकिन रतनपुर- केंदा मार्ग पर 17 मवेशियों की तेज रफ्तार हाइवा से कुचलकर मौत हो गई थी।
पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि एसओपी लागू की गई है। अब राज्य सरकार नगरीय निकायों से लेकर पंचायतों तक इस तरह की घटनाओं के लिए जवाबदेही तय करने जा रही है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि जिम्मेदारी तय करते हुए संबंधित अफसर- कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में इसे दर्ज किया जाए।
हाईकोर्ट में वर्ष 2019 में दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं लगाई गई थीं। इसमें सड़कों की खराब दशा, सड़क पर बैठे हुए मवेशियों से होने वाली परेशानी, हादसों में मवेशियों की मौत समेत कई विषय उठाए गए थे। तब से अब तक हाईकोर्ट इस मामले पर कई बार सुनवाई कर चुका है, लेकिन हालात जस के तस हैं।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

